Published: 13 नवंबर 2024
पारंपरिक कोल्हापुरी गोल्ड ज्वेलरी, मॉर्डन स्टाइल में
बारीक कारीगारी, पेचीदा शिल्पकारी, धार्मिक और पौराणिक प्रतीकों की आकृतियां और बहुत कुछ - ऐसे अनगिनत कारण हैं जो पारंपरिक आभूषणों को खास बनाते हैं। ये सदियों पुराने, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध आभूषण आज भी खूब पसंद किए जा रहे हैं। हाल ही में, स्टाइलिस्ट, डिजाइनर, और फैशन आइकन इन आभूषणों को अपना रहे हैं, जिससे परंपरागत आभूषण फिर से चर्चा में आ गए हैं।
सिंपल एथनिक ड्रेसेज़ पर हैवी नेकलेस कैरी करने से लेकर पारंपरिक सोने की बालियों को आधुनिक लुक के साथ पहनने तक, पारंपरिक आभूषणों कई तरीकों से स्टाइल किया जा सकता है। इन सबके बीच, कोल्हापुरी आभूषण अपने प्राचीन हस्तशिल्प की बदौलत फैशन में एक एक ताज़गी लेकर उभरें हैं। और तो और इनका सांस्कृतिक महत्व भी काफ़ी ज़्यादा है।
आइए कोल्हापुरी आभूषण बनाने की समृद्ध परंपरा के बारे में जानें, और पढ़ें कि कैसे इस हैंडीक्राफ्ट की मदद से लाइटवेट और शानदार आभूषण गढ़े जाते हैं।
पहनें कोल्हापुरी ट्रेडीशन ज्वेलरी नए अंदाज़ में
फैशन ट्रेंड में होने वाले बदलावों की बात करें तो हाल के वर्षों में पारंपरिक सोने के गहनों की ओर रुझान बढ़ रहा है। डिज़ाइनर लगातार सांस्कृतिक महत्व के क्लासिक मोटिफ से प्रेरणा लेकर उन्हें आधुनिकता के साथ गढ़ रहे हैं। जैसे-जैसे पारंपरिक सोने के गहने की लोकप्रियता बढ़ रही है, कोल्हापुरी ज्वेलरी अपने सिग्नेचर पीस की बदौलत अपनी खास जगह बना रही है। साज, चितांग और बुगडी जैसे गहनों में बारीक कारीगरी और हल्के बीडवर्क इन्हें रोजमर्रा के फ्यूज़न लुक के लिए परफ़ेक्ट बनाते हैं। इस वीडियो के माध्यम से पारंपरिक कोल्हापुरी गहनों के पीछे के समृद्ध सांस्कृतिक महत्व और कला के बारे में जानें। दरअसल, हमारी कोशिश यह जानने की रहती है कि आखिर ऐसा क्या है जो इसके हर आभूषण को इतना अनोखा बनाता है।
कोल्हापुरी गोल्ड ज्वेलरी: ट्रेडिशन और ट्रेंड का मेल
कोल्हापुरी गोल्ड ज्वेलरी ने अपनी पारंपरिक विरासत को सहेजते हुए, लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस डिजाइन में आपको एक ओर जहां बुगडी, टोडा जैसे पीस मिलेंगे, तो वही दूसरी ओर खोपा, वज्रटीक, लंबत मणि, चंद्र हार और कई अन्य जैसे नेकवियर मिलेंगे।
इसके अलावा, इसमें प्रमुख हैं -
चितांग
कोल्हापुरी चितांग वैसे तो परंपरागत रूप से वज़नदार होता है पर मौजूदा समय में डिजाइनर इसे नए तरीकों से बना रहे हैं। ये टाइमलेस नेकलेस 5 तोला या लगभग 58 ग्राम तक वजनी हो सकता है। हालांकि, आजकल इसमें लाइटवेट रूप भी उपलब्ध हैं, जो आपके रोज़ाना के लुक में चार-चांद लगा सकते हैं। चाहे आप इन्हें एक आधुनिक लुक के लिए एक क्रिस्प टी-शर्ट या जंपसूट के साथ पहनें या इन्हें अपने एथनिक वियर के साथ कैरी करें - चितांग एक मल्टीपरपज़ नेक ज्वेलरी है जो पारंपरिक और आधुनिक दोनों ही परिधानों पर अच्छी लगती है।
साज
कोल्हापुरी साज महाराष्ट्र की परंपरा का प्रतीक है, जिसे आमतौर पर विवाहित महिलाएं पहनती हैं। बेहद बारीकी से तराशे गए हार में 21 अलग-अलग मोटिफ हैं जो विभिन्न हिंदू देवताओं, प्राकृतिक तत्वों और पौराणिक कथाओं पर आधारित हैं।
10-12 अलग-अलग कारीगरों के हाथों से गुजरने के बाद साज में आपको सोने से किया गया बारीक फिलिग्री वर्क देखने को मिलेगा। आपको यह पीस कई नए रूपों में भी मिल सकता है, जिसे बनाने में डाई, बीड, पर्ल, और अन्य कीमती पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है।
चाहे आप एक शर्मीली दुल्हन हों जो एक बारीक कारीगरी नेकपीस चुन रही हो या एक ट्रेंडसेटर जो एक फ्यूज़न आउटफिट बनाना चाहती हो, कोल्हापुरी साज हर अवसर के लिए परफेक्ट है।
बुगडी
बारीग कारीगरी वाली बुगडी एक खास तरह की हेलिक्स इयरिंग है, जो सोने के 225 हिस्सों से बनाई जाती है। इसे बनाने में घंटों की मेहनत लगती है, और इसके डिजाइन में कोल्हापुर की पारंपरिक शिल्पकारी की झलक मिलती है। इस पर बने नेचुरल और धार्मिक मोटिफ़ कोल्हापुर के खास स्टैंसिल्स से तैयार किए जाते हैं।
कोल्हापुरी सुनारों की पुरानी तकनीकों के जरिए बुगडी में नाजुक पैटर्न बनाए जाते हैं, जो इसे एक रॉयल और रिच लुक देते हैं। आजकल, कई बुगडी में कुंदन और जड़ाऊ का काम भी देखने को मिलता है, जिसमें कीमती रत्नों का इस्तेमाल किया जाता है।
आप बुगडी को साधारण कुर्ती के साथ पहनकर एक कूल और डेली लुक पा सकती हैं। वहीं, अगर आप एक पारंपरिक स्टाइल चाहती हैं, तो कोल्हापुरी बुगडी को एथनिक आउटफिट्स के साथ पहनना एक शानदार विकल्प है। ये आपके लुक को क्लासी और एवरग्रीन बनाती है। चाहे आप मॉडर्न ड्रेस पहनें या ट्रेडिशनल, ये इयररिंग्स हर तरह के आउटफिट के साथ परफेक्ट लगती हैं।
ठुशी हार
ठुशी हार एक बेहद खूबसूरत और शानदार गहना है, जो आमतौर पर करीब 27 ग्राम तक का होता है। इसे सोने के छोटे-छोटे बीड्स से बनाया जाता है, जो एक साथ मिलकर हार में एक अनोखा पैटर्न बनाते हैं। अक्सर इसमें बीच में एक पैस्ले शेप का पेंडेंट भी होता है जो इसे और शानदार बनाता है।
ठुशी को आमतौर पर चोकर की तरह गले में टाइट करके पहना जाता है, लेकिन अब इसका हल्का और बारीकी से तैयार किया गया वर्शन भी उपलब्ध है, जो सिर्फ 4 ग्राम तक का भी होता है। इस चोकर के अलग-अलग डिज़ाइनों में पर्ल, एम्रराल्ड, रूबी जैसे जेम्स भी होते हैं, जो इसे और ज्यादा खूबसूरत बनाते हैं।
अगर आप अपने मॉडर्न आउटफिट में ट्रेडिशनल टच देना चाहते हैं, तो ठुशी हार को प्लाज़ो और टॉप के साथ ट्राई करें। ये ट्रेडिशनल सोने का हार किसी भी एथनिक ड्रेस के साथ बिल्कुल परफेक्ट लगता है, चाहे कोई भी फंक्शन हो। दुल्हन हों, ब्राइड्समेड या फिर मेहमान, ठुशी हार हर लुक में चार चांद लगा देता है।
पुतली हार
पुतली हार कोल्हापुर की खास ज्वैलरी परंपरा का हिस्सा है, जिसमें उत्तर और दक्षिण का शानदार मेल देखने को मिलता है। खूबसूरत सिक्कों से सजी ये माला सिर्फ गहना नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर है।
पुतली हार की खासियत इसमें मौजूद देवी-देवताओं की आकृति वाले डिज़ाइन हैं, जिनमें गणेश और लक्ष्मी की आकृतियां हैं, जो इसे महाराष्ट्रियन संस्कृति में शुभता का प्रतीक बनाते हैं।
इसे अपनी एथनिक वियर के साथ पहनें और अपने लुक को भारतीय परंपरा की झलक दें। या फिर इसे एक स्टेटमेंट पीस की तरह मॉडर्न आउटफिट्स के साथ पहनें, जिससे हर मौके पर आप सबसे अलग नज़र आएं।
सुनहरी परंपरा का स्पर्श
जबकि भारतीय गोल्ड ज्वेलरी मार्केट पश्चिमी देशों के ट्रेंड से प्रभावित होता है, इसके बावजूद देश के पारंपरिक सोने के आभूषण, इस बाज़ार में अपना दबदबा बनाए हुए हैं। चाहे भारत के प्रमुख ज्वेलरी ब्रांड हों या स्थानीय डिजाइनर, सभी सोने के गहने बनाने की भारतीय परंपरा और डिज़ाइन सभी के लिए प्रेरणा बने हुए हैं।
अपने टाइमलेस फैशन और बारीक हैंडवर्क की वजह से कोल्हापुरी आभूषण सांस्कृतिक विरासत और मॉडर्न फैशन का शानदार मेल हैं। तो, इंतज़ार किस बात का? इन पारंपरिक सोने के आभूषणों के साथ अपने लुक को ताज़गी दें और आज से ही इन्हें अपने आधुनिक फैशन का हिस्सा बनाएं!