Published: 01 सितंबर 2017
प्राचीन मिस्रवासियों द्वारा दंतसंशोधित कृत्रिम स्वर्ण दंतावली को प्राथमिकता
अगर आप प्राचीन मिस्र में रहते होते तो आपके मुँह में स्वर्ण दंत-विन्यास होता। 1014 में मिस्रवेत्ता हर्मन जुंकर को एक मिस्री मकबरे में दो दाँत मिले थे जो सोने के तार से जुड़े थे। इससे पता चलता है कि मिस्रवासी सभ्यता के वे पहले लोग थे जो संभवतः दंतचिकित्सा पेशे में संलग्न थे। यह एक ऐसा विषय है जिस पर इतिहासकार और दंतचिकित्सक दोनों समुदाय में बहस चल रही है।
फिरौनकालीन चिकित्सक पुनर्रचना क्रिया से अनजान नहीं थे। दो दाँतो को परस्पर आबद्ध रखने वाले दंत सेतु के तीन उदाहरण मिलते हैं जिसमें एक या एक से अधिक टूटे दाँतों को सोने या चाँदी के तार से आस-पास के दूसरे दाँतों से दोबारा जोड़ गया था। कुछ मामलों में दाता के दाँतों से सेतु बनाए गए थे। तथापि, वैज्ञानिक अभी भी आश्वस्त नहीं है कि यह काम रोगी के जीवन में किया जाता था या - जैसी स्थिति थी उन्हें दफन करने के पहले व्यवस्थित करने के लिए - मृत्यु के बाद किया जाता था।
यह मूल्यवान धातु प्राचीनतम दंत पुनरुद्धार पदार्थ है जिसके प्रमाण उपलब्ध हैं कि इस उद्देश्य के लिए इनका प्रयोग कम-से-कम 4000 वर्षों से किया जाता रहा है। आरंभ में इसका प्रयोग चबाने के बदले दाँतों की सुंदरता के लिए किया जाता था जैसा कि केन्द्रीय अमरीका की माया सभ्यता के अभिलेखों से प्रमाणित होता है, जो दंत-सौंदर्य विद्या में पारंगत थे।
प्राचीन मिस्रियों के समान आरंभिक फिरौनियों द्वारा 1500 वर्ष ईसा पूर्व दाँतों को सोने की तार से बाँधा जाता था। बाद में इट्रस्कनों (इट्रिया वासी) और फिर रोमनों (रोमवासियों) ने सोने की पट्टी से स्थिर सेतु बनाने की कला प्रस्तुत की। मध्य काल में यह तकनीक विलुप्त हो गई थी और फिर उन्नीसवीं सदी के मध्य में आकर एक संशोधित रूप में इसे पुनः अपनाया गया।
दंतचिकित्सा में स्वर्ण का प्रयोग आज भी महत्वपूर्ण है। विश्व स्वर्ण परिषद (वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल) के अनुमान के अनुसार 2015 में इस उद्देश्य के लिए लगभग 18.9 टन सोने की खपत हुई थी। दीर्घायु, सक्रियता, सौंदर्य और जैव-अनुकूलता के साथ-साथ निर्माण में आसानी, दंत चिकित्सा की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकताएँ हैं। इस तरह दाँतों के पुनरुद्धार के लिए ईष्टतम सामग्री ठोस रूप से स्वीकृत मिश्रित धातु है, जिसमें सोने की मात्रा अधिक रहती है।
शुद्ध सोने के साथ इलेक्ट्रोफॉर्मिंग प्रौद्योगिकी - इसे विद्युतलेपन के रूप में समझें - के विकास से भावी अनुसंधान के लिए नए मार्ग प्रशस्त हुए हैं। किन्तु दंत पुनरुद्धार में अत्यन्त कठोर अंगों के लिए विद्युतरचित (इलेक्ट्रोफॉर्म्ड) शुद्ध स्वर्ण का लचीलापन अभी भी अनुपयुक्त है और इस तरह इसका प्रयोग सीमित है। इसलिए चबाते समय दाँतों का ख्याल रखें।