Published: 19 फ़रवरी 2020
सोने के खनन का भविष्य
भारतीय खनिज संघ के अनुसार, भारत के खनिज संसाधनों की क्षमता वाले 575,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में से सिर्फ 13% की ही अभी तक गहरी जांच-पड़ताल की जा सकी है। इसका मतलब है कि भारत में सोने के खनन वाले बहुत सारे क्षेत्र अभी अनछुए पड़े हैं। हालांकि, तकनीकी उन्नति और पर्यावरण को नुकसान की गति पहले से कहीं ज्यादा है। इसलिए, आने वाले वर्षों में सोने के खनन के नए और टिकाऊ तरीके तलाशे जाने ज़रूरी हैं।
अगले तीन दशकों में सोने के खनन की प्रगति के बारे में कुछ विशेषज्ञों की भविष्यवाणियां इस प्रकार हैं :
- भूमिगत खनन पर केंद्रित
जीवन निर्वाह के लिए खेती की बजाय खनन के लिए बड़ी मात्रा में भूमि के उपयोग से स्थानीय समुदायों और स्थानीय सरकार द्वारा खुले-गड्ढे वाली खनन पद्धति का विरोध हो सकता है। इस कारण भूमिगत खनन की ओर धीरे-धीरे शिफ्ट होना होगा।
- प्रक्रमण यानी प्रोसेसिंग में प्रयुक्त हानिकारक रसायनों का उन्मूलन
खनन में साइनाइड और अमोनियम नाइट्रेट जैसे खतरनाक रसायनों का उपयोग गंभीर चिंता का विषय रहा है। इसकी काफी संभावना है कि सोना उद्योग तेज़ी से साइनाइड-मुक्त हो जाएगा। खुदाई के लिए भूमिगत विस्फोटकों के उपयोग को मशीनी कटाई से बदल दिया जाएगा। इससे खदानों से निकलने वाला सोना और अधिक सघन या गाढ़ा होगा।
- उन्नत मशीनी कटाई
आज ज्यादातर खदानें में मशीनी कटाई की जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह विस्फोटक पद्धति से कहीं अधिक कारगर है। हालांकि, मशीनी उपकरणों को बेहद कठोर चट्टानों वाली जगह पर सीमित सफलता मिली है। तकनीकी उन्नति के साथ-साथ इन पूरे हालातों के पूरी तरह से बदल जाने की संभावना है। भविष्य मशीनी कटाई का ही है, और मोबाइल प्रोसेसिंग प्लांट का उपयोग करने वाली मशीनों के साथ तो प्रोसेसिंग और अधिक संभव हो जाएगी।
- व्यवहार्य समुद्र आधारित परियोजनाएँ
सोना शायद दुनिया-भर के सभी क्षेत्रों में लगभग समान रूप से बंटा हुआ है और दुनिया की सतह का दो-तिहाई हिस्सा समुद्र के नीचे है, आंकड़ों के आइने में देखें तो समुद्र के नीचे सोना ढूंढना संभव है। इसलिए, खनन कंपनियों द्वारा भविष्य में समुद्रों में से सोना निकालने वाली समुद्र-आधारित परियोजनाएं बनाए जाने की ज्यादा संभावनाएं हैं। बेशक, इन भंडाराडारों के सटीक स्थानों का पता लगाने वाली ड्रिल रिग्स और सेंसर तकनीकें इजाद करने और बड़े डेटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग तकनीक का उपयोग करने की जरूरत होगी। लेकिन अगले 30 वर्षों में, यह निश्चित रूप से संभव होगा।
- ऑटोमेशन को गले लगाना
चाहे वह जमीन के नीचे हो या समुद्र में, ऑटोमेशन खनन उद्योग की एक मुख्य विशेषता होगी, जो खतरनाक और निरर्थक हाथों से की जाने वाली कार्य-विधियों की जगह लेगा। लोग मशीनों या रोबोटों को बनाए रखने और प्रबंधन करने के रचनात्मक, रणनीतिक और सामरिक कार्यों पर ध्यान देंगे।
- अक्षय ऊर्जा का लाभ उठाना
सोना खनन उद्योग के लिए ऊर्जा तेज़ी से एक मुद्दा बन रही है। खनन कंपनियां खनिज ईंधन के उपयोग को कम करने और नवीकरणीय और बैटरी चालित ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ाने की ओर काम कर रही हैं। सौर ऊर्जा डीज़ल की तुलना में बहुत सस्ती है, और नवीनतम सौर पैनल एक समय में 14 घंटे तक काम कर सकते हैं जिससे वे पारंपरिक बिजली स्रोतों का एक अच्छा विकल्प बन सकते हैं।
- स्थिरता को बढ़ावा देना
नई सोने की खानों की खोज होने पर स्थानीय समुदायों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। यह धारणा अकुशल और अर्ध-कुशल नौकरियों की संख्या में कमी आने की संभावना से बनी है। हालांकि, समय के साथ, तकनीक समुदाय में एक और अधिक स्थायी बदलाव ला सकती है, क्योंकि जैसे ही हमारा ध्यान ख़नन-आधारित रोज़गार सृजन से धन सृजन की ओर बदलेगा इससे आसपास शिक्षा, वाणिज्य और उद्यम का निर्माण होगा। आमतौर पर, सोने के मिलने से दस साल के अंतराल बाअद उसका व्यावसायिक उत्पादन शुरू होता है। इस समय का उपयोग शिक्षा में सुधार, कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और उद्यम को प्रोत्साहित करने के लिए किया जा सकता है।
अगले 30 वर्षों में, सोने के खनन में पर्यावरणीय, सामाजिक और सरकारी जरूरतों और तकनीकी प्रगति द्वारा संचालित एक महत्वपूर्ण परिवर्तन से गुज़रने की संभावना है। यदि बुद्धिमानी से लागू किया जाता है, तो इन परिवर्तनों से संभवतः सभी समुदायों को लाभ होगा।