Published: 09 फ़रवरी 2018
दिलचस्पी पुनर्जाग्रत करने वाली स्वर्णिम मुग़ल आभूषण
2008 में आशुतोष गोवारिकर की ऐतिहासिक कथा जोधा अकबर रिलीज़ हुयी थी. इस फिल्म को व्यावसायिक और आलोचनात्मक सफलता मिली. इसके मुख्य किरदार ऋतिक रोशन और ऐश्वर्या राय ने प्रशंसा बटोरी. सेट की सज्जा और परिधान को भरपूर वाहवाही मिली. असल में, बाद में यह एक फैशन बन गया. लोगों के मन में मुख्य जोड़ी द्वारा पहने गए भव्य स्वर्ण और बहुमूल्य रत्नों की चाहत पैदा हो गयी. और क्यों कर नहीं होता?
पांच गौरवशाली सदियाँ पहले भारत पर मुग़ल वंश का शासन था. राजवंशीय सत्ता वास्तुशिल्प, कला, व्यंजन, परिधान और रत्न जडित स्वर्ण आभूषणों के प्रशंसक थे. इस तरह के पेशे की प्रमुखता के चलते रचनात्मकता और एक विशिष्ट स्पंदन उत्पन्न हुआ जिसकी झलक मुग़ल आभूषणों में बड़ी सहजता से देखी जा सकती है.
फिर कोई आश्चर्य नहीं कि भारत में मुग़ल शासन काल में आभूषण निर्माण का कारोबार पल्लवित-पुष्पित हुआ. सम्राट और साम्राज्ञियों के अतिरिक्त दरबारी और ऊंचे लोग भी अत्यधिक रत्नों और मानकों वाले आभूषण धारण करते थे. आखिरकार, मंहगे आभूषण पहनने से व्यक्ति की हैसियत का पता जो चलता था. उस वक्त बड़े-बड़े घराने शानदार दिखने के लिए निजी तौर पर आभूषण किराए पर लिया करते थे.
मुगलकालीन आभूषणों में भारतीय गूढ़ता और मध्य पूर्व के लालित्य का मेल है. मुगलकालीन आभूषण की वास्तविक भिन्नता भारी रत्नों और मीनाकारी के व्यापक काम से दिखाई देती है. स्वर्ण आभूषणों में बड़े-बड़े बहुमूल्य और अर्द्ध कीमती रत्नों का समावेश किया जाता था, जबकि पक्षियों, फूलों और बेलबूटों का प्रयोग सबसे आम बात थी. मुग़ल शिल्पकारी के दूसरे और विशिष्ट रूपों में जरदोज़ी और थेवा सम्मिलित हैं.
मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद इसके अधिकाँश बेशकीमती आभूषण या तो बेच दिए गए या नष्ट हो गए. बाद में यह वैभव घटने लगा और कुछ मुग़ल आभूषणों को संग्रहालयों में रख दिया गया. इस तरह एक लम्बे समय तक मुग़ल आभूषण और इसकी गूढ़ता विस्मृत रही.
आजकल मुग़ल परम्परा की आभूषणों का प्रचलन स्त्रियों में फिर से बढ़ रहा है. राजसी छवि प्रस्तुत करने के लिए वधुएँ अपने विवाह के अवसर पर आम तौर पर मुग़ल आभूषण धारण करतीं हैं. और यह प्रवृत्ति बढ़ रही है; यहाँ तक कि अधिक कीमत पर भी खरीदारों का उत्साह दिखाई देता है.
वर्तमान में आभूषणों की विभिन्न दुकानों में मिलने वाले मुग़ल आभूषणों की आधुनिक छवि होती है, फिर भी इनमें रत्नों और मीनाकारी का काम असली होता है. शायद यही इसकी सबसे मजबूत विरासत है.