Published: 18 मई 2018
सोने के नैनो-कणों से कैसे बदलते हैं पेंट के रंग
यदि कोई आपसे पूछे, “सोने का रंग क्या है?”, तो आप क्या कहेंगे? आखिरकार, सोने का सुनहरापन भी अपने आप में एक रंग ही है। लेकिन जब रिवरसाइड के कैलिफॉर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सोने के नैनो-कणों को एक साथ रखा, और फिर उसमें हेर-फेर की, तो कुछ चौंका देने वाला घटित हुआ। उसका रंग बदल गया। वह उजले नीले, से बैंगनी, फिर लाल में बदल गया।
कई खोजों और आविष्कारों की तरह, यह भी एक आनंददायक वैज्ञानिक दुर्घटना थी। फिर जो चुनौती सामने आयी, वह थी इस ‘दुर्घटना’ को वास्तविक जगत के अनुप्रयोगों के साथ जोड़ने की।
रंगों की मोज़ेक
करीब 5,000 साल पहले, प्राचीन मिस्र की पौराणिक कथाओं में सोने ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी, और यह फैरो व राजपुरोहित दोनों के द्वारा बहुमूल्य माना जाता था।
समय के साथ, कलाकारों ने सोने को अपनी कलाकृतियों में प्रयोग करना शुरु कर दिया, शुरु में तो मूल धातु के रूप में ही, लेकिन बाद में नन्हीं मात्रा के प्रयोग से, अन्य पदार्थों या काँच के साथ मिलाने पर, वह रंगों की एक विविध श्रृंखला बनाता था। कई प्राचीन यूरोपीय चर्च व कैथेड्रल की रंगीन काँच की खिड़कियों में दिखने वाले उजले लाल के लिए सोने के नैनो-कण प्रयोग किये जाते थे। सोने के नैनो-कण के प्राचीन प्रयोग का एक और उदाहरण है चौथी शताब्दी में कृत लाइकर्गस कप, जो बर्तन पर पड़ने वाली रोशनी की दिशा के अनुसार अपना रंग बदलता है।
सम्पूर्णता का दबाव
सोने की जिस विशेषता को रिवरसाइड के कैलिफॉर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सबसे अधिक उल्लेखनीय माना, और जिसके लाभदायक अनुप्रयोग होने की सम्भावना दिखी, वह यह थी सोने के नैनो-कणों से बने सेंसर दिये गये दबाव की मात्रा के आधार पर, एक अलग रंग प्रदर्शित करते हैं।
इसका पहले क्रैश टेस्ट डमी पर परीक्षण हुआ था। सेंसर पर पेंट किया जा सकता था या फिर उसी तरह लपेटा जा सकता था जिस तरह आप बैंडेज लपेटते हैं। एक हल्के-से दबाव से आपको बैंगनी रंग मिलेगा। सबसे कठोर दबाव के केंद्र पर पेंट का रंग लाल हो जाएगा। अन्य शब्दों में, यह सिर्फ दबाव ही प्रदर्शित नहीं करेगा; बल्कि दबाव की कठोरता का भी सदृश चित्रण प्रदान करेगा। कार निर्माताओं को नये कार के मॉडल पर, दुर्घटना के प्रभाव के आकलन के लिए इससे काफी जानकारी मिल सकती है।
भविष्य उज्ज्वल है
नैनो-प्रौद्योगिकी में सोने का प्रयोग अब सामान्य बात है क्योंकि रासायनिक तौर पर, सोना अन्य धातुओं व पदार्थों की अपेक्षा और अधिक स्थिर है। शोध दल अब इस प्रक्रिया की ‘रिवर्स इंजीनियरिंग’ पर काम कर रही है ताकि परीक्षण-प्रभाव से होने वाले वियोजन के बाद, नैनो-कण को स्व-योजित होने लायक डिज़ाइन में बना दिया जाए। इस प्रतिवर्ती प्रभाव का अर्थ यह होगा कि सेंसर का कई बार फिर से प्रयोग हो सकेगा। ज़रा सोच कर देखिए!
एक जापानी कम्पनी ने वाहनों के लिए पेंट में सोने के प्रयोग के लिए प्रौद्योगिकी का विकास किया है। छाया में रहने वाले क्षेत्र का पेंट काला दिखेगा, और रोशनी में रहने वाले क्षेत्र का लाल। और जब वाहन गतिवान होगा, वह रोशनी की बदलती अवस्थाओं के कारण गतिशील प्रभाव प्रदान करेगा। सोने के अन्य व्यावहारिक अनुप्रयोग हैं:
- इलेक्ट्रॉनिक्स
- फोटोडायनैमिक थेरेपी
- थेरप्यूटिक एजेंट डिलीवरी
- सेंसर / प्रोब
- डायग्नॉस्टिक
- कैटलिसिस
इस प्रौद्योगिकी के अन्य सम्भावित अनुप्रयोग हैं, और ज्ञान के विकास के साथ-साथ और भी कई अनुप्रयोग सामने आएँगे। विश्व के विकास के साथ, सोना विभिन्न उद्योगों को उन्नत करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।