Published: 19 जनवरी 2018
सोना एवं सोने के आभूषणों पर जीएसटी का असर
12 जुलाई 2017 की रात जैसे ही घड़ी पर 12 बजे, सरकार ने देश में अप्रत्यक्ष कराधान के एक नए युग की शुरुआत की। अब, देश में लगभग सभी जीएसटी : द गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के बारे में जानते हैं।
अब, जब भी आप किसी खरीदारी के लिए बिल पाएंगे, तो वह किसी भी आभूषणों की दूकान, सुपर मार्केट, या किसी रेस्तरां या थिएटर में सेवा देने वाला उत्पाद हो, तो आप उसमें वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) या सर्विस टैक्स की बजाय, केवल जीएसटी पाएंगे। इसे आगे फिर सीजीएसटी (सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स) और एसजीएसटी (स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स) में बांटा जा सकता है।
जीएसअी के परिपालन में, जीएसअी परिषद ने लगभग 1,211 अन्य वस्तुओं और सेवाओं समेत, सोने के लिए कर की दरें तय कीं।
जीएसटी भारत में सोने की खरीद को कैसे प्रभावित करता है
1 जुलाई 2017 के बाद से सोने पर 3% जीएसटी देय है। हालांकि, 10% सीमा शुल्क जारी रहेगा।
साथ ही सोने को बनाई शुल्क पर 5% जीएसटी लगेगा। यह जानने के लिए कि सोने की कीमत पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है सोने की खरीद को सरल बनाएं : बनाई शुल्क और अपव्यय को पढ़ें।
जीएसटी के साथ, उपभोक्ताओं को अब लगभग 13.5%-14% (सीमा शुल्क, बनाई शुल्क और सोने के आभूषण पर जीएसटी शुल्क शामिल हैं) की प्रभावी दरों का भुगतान करना पड़ता है, जो कि पहले 12.4% था।
इस चित्र की मदद से सोने पर माल एवं सेवा कर को समझना
विवरण | जीएसटी से पहले | जीएसटी के बाद | |
A | सोने की धातु की कीमत (₹प्रति ग्राम) * | 3,000.00 | 3,000.00 |
B | सीमा शुल्क (10%) | 300.00 | 300.00 |
C | धातु आयात करने की लागत (A+B) | 3,300.00 | 3,300.00 |
D | बनाई शुल्क (सोने के आयात पर @8%) | 264.00 | 264.00 |
E | जौहरी की विनिर्माण लागत (C+D) | 3,564.00 | 3,564.00 |
F | आभूषण की गढ़ाई पर उत्पाद शुल्क (विनिर्माण लागत 'E’ पर @1%) | 35.64 | (not relevant) |
G | आभूषण की फुटकर विक्रेता की लागत (E+F) | 3,599.64 | 3,564.00 |
H | वैट (आभूषण की फुटकर विक्रेता की लागत ‘G” पर @1% से 5%) | 35.99 | (not relevant) |
I | आभूषण पर जीएसटी (धातु आयात करने की लागत पर @3% - ‘G’) | (not relevant) | 106.92 |
J | आभूषण की कुल कीमत (एक ग्राम सोना) (G+H+I) | 3,635.63 | 3,670.92.12 |
K | कुल कर और शुल्क (B+F+H+I) | 371.63 | 406.92 |
आभूषण की कीमत के प्रतिशत के रूप में कर और शुल्क | 10.22% | 11.08% | |
मूल्य पर प्रभाव | ▲1.33% |
सोने पर जीएसटी की और उसके बाद की जटिलताओं को समझना
दिखने में तो यह अधिक कर का बोझ लग सकता है, लेकिन जीएसटी बड़े पैमाने पर कर क्षमता प्रदान करता है, जोकि आपको लंबे समय में लाभ पहुंचाएगा।
जीएसटी के तहत, जौहरी आभूषण बेचने की प्रक्रिया में प्रयुक्त किसी भी सामान और सेवाओं की इनपुट टैक्स क्रेडिट का उपयोग कर सकेंगे। आपूर्ति चेने में मिलने वाला कोई भी कर अब उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा।
इस कदम से संगठित क्षेत्र के जौहरियों को लाभ पहुंचेगा और ग्राहकों को उनके पक्ष में ला देता है। यह संगठित और असंगठित आभूषण क्षेत्रों के बीच की खाई को भी पाट सकता है।
जीएसटी को लागू करने से ग्राहकों पर फौरी तौर पर करों का बोझ थोड़ा ज्यादा पड़ सकता है, लेकिन इसे उद्योग के लिए समायोजन समय के रूप में ज्यादा महत्व का माना जाता है, वहीं उपभोक्ताओं और खुदरा विक्रेताओं को नए कर व्यवस्था की थोड़ी-बहुत उलझनें ही हाथ लगती हैं।
पुराने सोने के आभूषण बेचने पर जीएसटी का क्या प्रभाव पड़ता है
यदि आप अपनी पुराने आभूषण किसी जौहरी को बेचते हैं, तो प्रतिलोम कर पद्धति के तहत जौहरी कोई भी जीएसटी चुकाने के लिए उत्तरदायी नहीं है। हालांकि, अगर कोई अपंजीकृत खुदरा विक्रेता सोने का आभूषण किसी पंजीकृत खुदरा विक्रेता को बेचता है, तो कर प्रतिलोम कर पद्धति के तहत लागू होगा। इस पद्धति के तहत, कर का भुगतान माल या सेवाओं के प्राप्तकर्ता को करना होता है, न कि खूदरा विक्रेता को।
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खरीदारों और उद्योग के लिए जीएसटी का क्या मतलब है
खुदरा दुकानों में अधिक पारदर्शिता से देश-भर में सोने के खरीदारों का विश्वास बढ़ेगा। जीएसटी से औपचारिक क्षेत्र में और अधिक सोना लाने में मदद मिलेगी। इससे उद्योग पर लंबे समय में सकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे ही पड़ेंगे।
उपभोक्ताओं का अपने खरीदे गए सोने के उत्पादों पर भरोसा जमेगा और यह बदले में आने वाले समय में भारतीय सोने की मांग को बढ़ा सकता है।
अगर सोने का बाजार औपचारिक क्षेत्र में आ जाएगा, तो लाभ भी आपके पास वापस आ जाएगा। जीएसटी को लागू करके और ग्रे- और ब्लैक-मार्केट विक्रेताओं के लिए मुश्किल खड़ी करके, आप भी सोने के लेनदेन के कानूनी माध्ममों को पक्का करने में योगदान कर सकते हैं।
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