Published: 26 अक्टूबर 2018
जड़ाऊ गहनों का इतिहास और उनका निर्माण
जड़ाऊ आभूषण-निर्माण की एक तकनीक होती है जिसमें शुद्ध सोने को गर्म करके उसे लचीला बनाने के लिए पीटा जाता है। फिर उसे एक सांचे में ढाला जाता है जिसमें, बिना किसी बाहरी गोंद या नक़्क़ाशी के, कीमती रत्न जड़े जाते हैं। जड़ाऊ गहनों की सबसे आकर्षक विशेषताओं में से एक होती है गहने के अग्रभाग में किया गया मीनाकारी का काम।
जड़ाऊ का इतिहास और उसकी शुरुआत
जड़ाऊ की कला की शुरुआत हुई राजस्थान में, पहले जयपुर के दरबार में और फिर, बीकानेर में। उस समय मुग़ल कलाकारों द्वारा निर्मित सबसे प्रचलित गहने थे कड़े, हार, कान के झुमके, ब्रेसलेट, और बाजूबंद।
हालाँकि जड़ाऊ को मुग़ल भारत में लेकर आये थे, लेकिन अब यह राजस्थान और गुजरात में सोने के गहनों की सर्व-प्रचलित शैली बन गया है। सिर्फ यही नहीं, भारतीय कलाकारों ने इस कला की मूल तकनीक में अपना अनोखा स्पर्श देकर इन वर्षों में, इस कला में महारथ हासिल कर ली है।
जड़ाऊ गहनों को नक़्क़ाशी किये गये गहने भी कहते हैं। ये उच्चतर कैरेट के पीले यानि सुनहरे सोने में बनते हैं क्योंकि इसी रंग में मीनाकारी का काम उभरता और निखरता है। जिन गहनों में पीछे मीनाकारी का काम नहीं होता, उनमें 22 कैरेट सोना भी प्रयोग किया जा सकता है।
बीकानेर ही हमारे देश का एकमात्र ऐसा शहर है जहाँ 24 कैरेट सोने पर जड़ाऊ का काम किया जाता है। यहाँ 15,000 से भी ज़्यादा जड़ाऊ के कुशल कारीगर हैं।
जड़ाऊ गहने बनाने की विधि
क्या आप जानते हैं कि सोने पर सिर्फ 4-5 रत्न जड़ने में एक पूरा दिन लग सकता है?
जड़ाऊ का एक गहना बनाने में ही गहन समर्पण, बारीकी पर ध्यान, और बहुत सावधानी की ज़रूरत होती है। इसके लिए प्रशिक्षित स्वर्णकारों यानि ज्वेलर्स के एक दल की ज़रूरत होती है जिसमें हर एक सदस्य को एक विशिष्ट कार्य सौंपा जाता है।
पहले गहने का डिज़ाइन बनाया जाता है। उसके बाद, सोने पर छेद या नक़्क़ाशियाँ की जाती हैं। रत्न जड़ने से पहले, सोने को पिघलाया जाना चाहिए। जब सोना ठंडा हो जाएगा, तो रत्न खुद ही अपनी-अपनी जगह से चिपक जाएँगे। तीसरे और आखिरी चरण में, एनेमलिंग की जाती है, जिसमें एक मीनाकार रंग डालकर गहने के पीछे का भाग सजाता है।
जहाँ पारम्परिक जड़ाऊ गहने आकर्षक और विवरणात्मक होते थे, आधुनिक कारीगर समकालीन शैलियों की तरफ रुख़ कर रहे हैं जो कि युवा ग्राहकों द्वारा पसंद किये जाते हैं। चाहे जो भी हो, जड़ाऊ पहनने वाले में एक शाही अंदाज़ खुद ही आ जाता है। भारतीयों ने जड़ाऊ गहनों को हमेशा से ही पसंद किया है। शादी-ब्याह और तीज-त्यौहार के विशेष और शुभ अवसरों पर इन्हें अकसर ही खरीदा जाता है।