Published: 31 अगस्त 2017
स्वर्ण के पुनर्चक्रण संबंधी जानकारी
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल द्वारा भारत में स्वर्ण (या सोना) की अनुमानित मात्रा - आधिकारिक आरक्षित स्वर्ण भंडार के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के अधीन रखे स्वर्ण को छोड़कर - लगभग 23,000 टन की है। भारत विश्व में स्वर्ण का सबसे बड़ा उपभोक्ता है जहाँ सालाना तौर पर पूरे विश्व की स्वर्ण खपत की एक-चौथाई खपत होती है। इस 23,000 टन स्वर्ण को परिवारों और व्यक्तियों द्वारा अपने-अपने घरों में या बैंक के लॉकरों में रखा गया है। इसके अलावा इसका एक हिस्सा भारतीय मंदिरों में हैं जहाँ भक्तों द्वारा परंपरागत रूप से स्वर्ण दंड, सिक्के और आभूषण दान में दिए गए हैं।
तथापि सोने की सालाना माँग इसके उत्पादन के काफी अधिक है। विश्व में सालाना लगभग 4,300 टन सोने की खपत में लगभग 25 प्रतिशत सोना पुनर्चक्रण (रिसाइकलिंग) (अधिकांशतः पुराने आभूषणों के) से आता है। चूँकि सोना मलीन या नष्ट नहीं होता है, धरती पर अभी तक उत्खनित पूरा का पूरा सोना किसी-न-किसी रूप में आज भी विद्यमान है। इसकी क्षरणरोधी सहित असाधारण गुणों के कारण सोना अपने आप में पुनर्चक्रण की प्रक्रिया में आता रहता है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल और बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के शोध के अनुसार, असल में 1995 से लेकर 2015 तक सोने की संपूर्ण आपूर्ति का एक-तिहाई हिस्सा पुनर्चक्रित सोना से आया था।
अनुसंधानपरक अध्ययन में स्वर्ण पुनर्चक्रण में क्षेत्रीय विभिन्नता का भी पता चला। उत्तरी अमरीका और यूरोप का उदाहरण लें तो संपूर्ण पुनर्चक्रण में उनका अंशदान 2004 के 27 प्रतिशत से बढ़कर 2011 में 43 प्रतिशत पर पहुँच गया। इसके पीछे सामान्यतः वैश्विक आर्थिक संकट की भूमिका थी। एशिया में चीन का स्वर्ण भंडार लगातार बढ़ रहा है और उसी अनुपात में पुनर्चक्रण भी। भारत का पुनर्चक्रण स्तर लगभग स्थिर है और संपूर्ण स्वर्ण भंडार का छोटा हिस्सा यानी अनुमानित 23,000 टन के 0.5 प्रतिशत से भी कम सोना पुनर्चक्रण में आता है।
भारत में पुनर्चक्रित सोना हमारे स्वर्ण आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, 1990 के बाद से भारतीय आभूषण निर्माण की 15 जरूरत इससे पूरी हुई है। अपना सोना पुनर्चक्रित कराने के इच्छुक उपभोक्ताओं को निकट भविष्य में बेहतर भुगतान का लाभ मिल सकता है। प्रमाण चिन्ह के विकास और जीएसटी की बदौलत उपभोक्ताओं को अधिक पारदर्शिता और निःसंदेह उनके आभूषणों के कैरेट का फायदा मिलेगा।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार स्वर्ण पुनर्चक्रण के तीन स्रोत हैं: आभूषण, विनिर्माण अपशिष्ट और उपयोगिता खो चुके औद्योगिक उत्पाद। पुनर्चक्रण में आभूषण निर्माण से निकली कतरनों की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है जो समस्त पुनर्चक्रित स्वर्ण का 90 से 95 है। इसे व्यक्तियों से (नगदी के लिए सोना बेचने वाले या नया सोना के लिए पुराने आभूषण बदलने वाले) या साहूकारों और अदत्त ऋणों के लिए जमानती सोना बेचने वाली स्वर्ण ऋणदाता कंपनियों से प्राप्त किया जाता है।
अनेक परिशोधन प्रतिष्ठानों (रिफाइनरी) और स्वर्ण ऋणदाता कंपनियों द्वारा भारत के बड़े-बड़े शहरों में, कभी-कभी सुनारों के साथ मिलकर, पुनर्चक्रण संग्रह केन्द्र स्थापित किया गया है। भविष्य में पुनर्चक्रण संग्रह ज्यादा संगठित, कार्यकुशल एवं ज्यादा प्रतिष्ठित कारोबार हो सकता है। इस तरह ये बहुमूल्य धातु न केवल पीला वरन् पर्यावरण हितैषी और हरित भी है।