Published: 15 मार्च 2018
स्वर्ण के अनेक प्रयोग
हर कोई जानता है की स्वर्ण बहुमूल्य होता है. किन्तु हममें से कितने लोग जानते हैं की स्वर्ण का मूल्य पैसों के दायरे के बाहर भी है.
सचमुच, सदियों पहले, प्राचीन साहित्यों में स्वर्ण के रासायनिक गुणों के भण्डार भरे हैं. चाहे प्राचीन मिस्र, यूरोप हो या भारत हो, खाद्य और पेय पदार्थों के साथ स्वर्ण का प्रयोग इस मान्यता के साथ किया जाता था की यह अनेक प्रकार की व्याधियों और बीमारियों से रक्षा और उपचार कर सकता है.
‘गोल्डवास्सर’, जिसका शाब्दिक अनुवाद ‘गोल्डवाटर’ है, एक प्रकार की शराब होती है. पहली बार 16वीं सदी में पोलैंड के शहर ग्द्सांक (तत्कालीन डैनजिग) इसका किण्वन किया गया था. इसमें स्वर्ण के छोटे-छोटे फलक होते हैं. कहा जाता है की यह रूस के जार पीटर और उसकी पत्नी कैथरीन द ग्रेट का मनपसंद ड्रिंक था.
भारत में, आयुर्वेदीय शक्तिवर्धक अनेक औषधियों, जैसे कि च्यवनप्राश में स्वर्ण की मिलावट रहती है.
शुद्ध स्वर्ण और चांदी के भस्म आयुर्वेद चिकित्सा में शक्तिशाली पुनर्यौवन और स्मरणवर्धक के रूप में प्रसिद्ध हैं. इनसे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है और जीवन शक्ति एवं उत्साह बना रहता है.
स्वर्ण त्वचा के लिए भी गुणकारी माना जाता था. कहा जाता है की क्लियोपैट्रा अपना सौंदर्य बनाए रखने के लिए स्वर्ण का मुखौटा पहन कर सोती थी. वैज्ञानिक माइकल फैराडे द्वारा संयोगवश खोजे गए कोलाइडयन स्वर्ण, यानी जल में प्रच्छन्न स्वर्ण के अति सूक्ष्म कण का प्रयोग शराब की लत छुड़ाने के लिए भी किया जाता था.
आजकल मुख्यतः हैसियत और धन के प्रदर्शन के लिए सजावटी सामग्री के रूप में खाद्य पदार्थ में स्वर्ण का प्रयोग किया जाता है. किन्तु प्राचीन लोग कुछ और ही करते थे और आजकल आधुनिक चिकित्सा के उद्भव से साथ रोगों के उपचार के लिए इसके प्रयोग का विस्तार होने लगा है.
स्वर्ण अपने सूजन रोधी गुणों के कारण संधिशोथ के उपचार में प्रयोग किया जाता है. इसका प्रयोग कैंसर के उपचार में भी होता है, जिसमे इसके अति सूक्ष्म कण कैंसर-शामक औषधि के वाहक का काम करते हैं और औषधि को सीधे ट्यूमर तक पहुंचाते हैं.
इस प्रकार, स्वर्ण किसी विपत्र में जमा राशि की अस्थिरता के रक्षक के रूप में के सुरक्षित निवेश एवं बढ़िया प्रतिलाभ का काम तो करता ही है, स्वस्थ्य के सन्दर्भ में भी यह एक बहुमूल्य संपदा है.