Published: 27 सितंबर 2017

पशुओं का अलंकार – एक अनूठी परम्परा

भारत में प्रत्येक त्यौहार और आयोजन बड़े भव्य स्तर पर मनाया जाता है. इनमे ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए शुभ और पवित्र माने जाने वाले अनेक अनुष्ठान किये जाते हैं. इन अनुष्ठानों में मवेशियों और पशुओं को स्वर्ण आभूषणों से अलंकृत करने की एक अनूठी परम्परा सम्मिलित है. यह बल्कि एक दिलचस्प परम्परा है, जो एक प्रकार से, सालों भर सेवा देने वाले पशुओं की समाज द्वारा सेवा का एक सुन्दर उदाहरण है.

इस आलेख में हम आपको इन अनुष्ठानों और परम्पराओं से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बता रहे हैं:

 
  • केरल के सर्वाधिक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिरों के उत्सवों एवं अन्य आयोजनों का समारोह हाथियों को स्वर्ण आभूषण से सजा कर मनाया जाता है. ईश्वर के अपने देश के शिल्पी हाथियों के लिए स्वर्ण के साज, छोटे छाते और हार तैयार करते हैं. एक भव्य उत्सव में यात्रा के लिए 150 से अधिक हाथी होते हैं, जिन्हें इन स्वर्ण अलंकारों से सजाया जाता है.
  • उत्तरी और पश्चिम भारत में वैवाहिक अनुष्ठान घोड़ों के बिना अधूरे माने जाते हैं. यह एक परिपाटी है जिसमे परिवार वालों द्वारा घोड़ों की सजावट पर काफी धन खर्च किया जाता है. घोड़े स्वर्ण आभूषणों से सुशोभित रहते हैं; परिवार जितना अधिक संपन्न रहता है, अलंकरण पर उतना ही अधिक खर्च करता है. आम तौर पर घोड़े का मस्तक सजाया जाता है और कभी-कभार घोड़े के घुटने भी स्वर्ण अलंकारों से सज्जित रहते हैं.
  • राजस्थान के पुष्कर ऊँट मेले में अलंकृत ऊंटों का भव्य दृश्य होता है. इस उत्सव में कुछ ऊंटों को स्वर्ण से बने पाजेबों और स्वर्ण फलक या रंग-बिरंगे सजावटों से सुशोभित किया जाता है. शाही राजस्थान में आने वाले पर्यटकों के लिए यह मेला आकर्षण का मुख्य केंद्र होता है.
  • महाराष्ट्र में गोवर्धन उत्सव के दिन, भक्तगण गायों को आभूषणों से सजाकर, उनकी पूजा करते हैं. कुछ जगहों पर ख़ास कर धनी किसान, गायों को स्वर्ण आभूषणों से अलंकृत करते हैं.
  • छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के किसान वृषभ-पूजन त्यौहार मनाते हैं. इस त्यौहार को पोला कहा जाता है. इस दिन, वृषभ (साँढ़) को सबसे पहले नहलाया जाता है, फिर उन्हें दुशाले और आभूषणों से अलंकृत किया जाता है. गोवर्धन उत्सव के समान, धनी किसान तथा दूसरे संपन्न भक्त मवेशियों को स्वर्ण आभूषणों से सजाते हैं.

भारत में देवी-देवताओं की प्रशंसा और प्रसन्नता के लिए अलग-अलग अनुष्ठानों में अलग-अलग चढ़ावे चढ़ाए जाते हैं. गायों, हाथियों, ऊंटों और घोड़ों जैसे पशुओं को सजाने की क्रिया प्रकृति में भक्तिपूर्ण आस्था का प्रतीक है. इन अनुष्ठानों का जन्म स्वर्ण से जुड़ी धर्मपरायणता और पवित्रता से हुआ है.