Published: 27 सितंबर 2017
भारत में नए स्वर्ण खदानों की संभावनाएँ
ईसा पूर्व 5वीं शताब्दी में, इतिहास के जनक के रूप में विख्यात यूनानी इतिहासकार, हेरोडोटस ने एक कहानी का सन्दर्भ दिया था (अपनी कृति, हिस्ट्रीज के तृतीय खंड में). कहानी में बताया गया है कि किस प्रकार भारत में चीटियाँ बालू से स्वर्ण के कण निकालती थीं. हेरोडोटस के बाद से, विभिन्न कालों के इतिहासकारों ने इस कहानी के वास्तविक स्रोत या पृष्ठभूमि की ख़ोज करने का प्रयास किया है, किन्तु असफल रहे. लेकिन अन्य लोगों ने संकेत किया है कि किस प्रकार दक्षिण अफ्रीका में, दीमकों के ढेर की मौजूदगी को अक्सर स्वर्ण भण्डार खोजने की विधि के रूप में देखा जाता है.
विश्व में स्वर्ण का सबसे बड़ा उपभोक्ता होने के बाद भी – हमारे यहाँ एक साल में करीब 800-900 टन स्वर्ण की खपत होती है – भारत में स्वर्ण की लगभग नगण्य खुदाई होती है. भारत में अंतिम स्वर्ण खदान कर्नाटक का हत्ती स्वर्ण खदान है. वहाँ 1902 में उत्पादन आरम्भ हुआ था, और 2015 में लगभग 45,000 औंस या कमोबेश 1.275 टन का उत्पादन हुआ. कर्नाटक में बेंगुलुरु से 45 किलोमीटर दूर, कोलार गोल्ड फ़ील्ड्स में 120 वर्षों तक उत्खनन कार्य चला, और 2001 में बंद होने के पहले तक इसके सम्पूर्ण जीवन काल में कोई 800 टन स्वर्ण का उत्पादन हुआ था.
तथापि, आजकल नए सिरे से स्वर्ण की खोज के लिए काफी उत्साह दिखाई दे रहा है. कम-से-कम कोलार गोल्ड फील्ड्स को दोबारा चालू करने की काफी चर्चा है; कुछ लोगों ने वहाँ वर्तमान मूल्य पर $2 बिलियन से अधिक का स्वर्ण भण्डार बताया है. कुछ विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि दक्षिण भारत का भूतत्व स्वर्ण भण्डार के अनुकूल है; विकसित करने के लिए टेंडर द्वारा प्रस्तुत खानों की सूची में तीन स्वर्ण खदान ही हैं.
फरवरी 2016 में, वेदान्ता रिसोर्सेज पहली कम्पनी थी, जिसने स्वर्ण खदान की बोली हासिल की, और छत्तीसगढ़ में बाघमारा स्वर्ण खदान का ठेका लिया. वेदांता इंडिया पहले से उप-उत्पाद के रूप में ताम्बा और जस्ता खदानों से कुछ चांदी के साथ-साथ स्वर्ण निकाल रहा है. कर्नाटक में – एक बार पुनः – सूचीबद्ध कम्पनी, डेक्कन गोल्ड माइंस को इस साल अपने गनाजुर प्रोजेक्ट से उत्पादन आरम्भ करनी उम्मीद है; जहां से लगभग 1.3 टन सालाना उत्पादन अपेक्षित है.
पड़ोसी आन्ध्र प्रदेश में, राज्य सरकार ने कुरनूल में उत्खनन आरम्भ करने के लिए एक ऑस्ट्रेलियाई भारतीय कम्पनी के साथ समझौता ज्ञापन निष्पादित किया है. विशेषज्ञों के अनुसार, आंध्र प्रदेश के कुरनूल के साथ-साथ अनंतपुर और चित्तूर सहित रायलसीमा क्षेत्र में, स्फटिक से भरे चट्टान भरे पड़े हैं.
लगता है कि एक बार फिर से भारत में स्वर्ण की दौड़ होने वाली है.