Published: 09 फ़रवरी 2018
आग से परीक्षण : स्वर्ण का परिष्करण
किसी जमाने में आपका मनपसंद स्वर्ण हार चट्टान में एक साथ जमे हुए अन्य धातुओं के समूह का हिस्सा था. खुदाई करके निकाला गया स्वर्ण शायद ही उस धातु के जैसा लगता है जिसे हम इतना चाहते हैं. जैसा कि विशेषज्ञ कहते हैं, यह असल में अयस्क होता है. अयस्क में अधिक या कम मात्रा में स्वर्ण हो सकता है जो इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कहाँ से उत्खनित किया गया है. अयस्कों से स्वर्ण निकालने के लिए स्वर्णकार साइनाइड का प्रयोग करते हैं जिसे फलस्वरूप ‘डोर’ नामक वस्तु तैयार होती है.
इसके बाद अगला चरण आरम्भ होता है. डोर को शोधशाला में आग द्वारा परीक्षण किया जाता है. परिशोधन नामक उत्तेजक प्रक्रिया में इसे भट्ठी में दोबारा पिघलाया जाता है और तब प्रचुर मात्रा में सोडा ऐश और बोरेक्स के साथ ढेर कर दिया जाता है. इससे स्वर्ण से अशुद्धता और अन्य धातु के कण अलग हो जाते हैं. असल में स्वर्ण को परिशोधित करने के अनेक मजेदार वैज्ञानिक और प्रौद्योगिक तरीके हैं. तरीका चाहे जो भी हो, अंत में जो बच जाता है वह धरती पर शुद्धतम स्वर्ण है और इसे सुन्दर छड़ के आकार में ढाल दिया जाता है, जिसकी चमक सूर्य के सामान होती है.
तो आप समझ गए होंगे की आपका हार कहाँ से आता है, है न ? लेकिन नहीं! शुद्ध स्वर्ण इतना कोमल होता है कि इससे हार नहीं बनाया जा सकता. इससे आभूषण तभी बनाया जा सकता है, जब इसमें कोई मिश्रधातु मिलाया जाता है. आपके हार को दूसरी नजर से देखिए. क्या यह ख़ास रोशनी में लाल या गुलाबी रंग का दिखता है? तब हो सकता है कि स्वर्ण के साथ ताम्बा या स्वर्ण का मिश्रधातु मिलाया गया है. सफ़ेद स्वर्ण में अक्सर चांदी या गिलट (निकल) मिलाया रहता है. और स्वर्ण में अगर लोहे की थोड़ी मात्रा मिला दी जाए तो स्वर्ण में नीली आभा दिखाई देगी. स्वर्ण का कैरट आभूषण में मौजूद शुद्ध स्वर्ण की मात्रा का माप होता है. 22 कैरट स्वर्ण में स्वर्ण अनुपात 91.75 प्रतिशत होता है. वर्ल्ड गोल्ड कौंसिल द्वारा प्रकाशित एक शोध अध्ययन बताता है कि यूरोपीय देशों में 18 कैरट स्वर्ण की ओर झुकाव अधिक है, वहीं भारतीय लोग 22 कैरट की चाहत रखते हैं. हमें सर्वश्रेष्ठ के कम नहीं चाहिए, है न ?