Published: 02 अगस्त 2017
हॉलमार्क की गई गोल्ड ज्वेलरी ही क्यों खरीदें?
भारतीय गोल्ड बाजार केवल विश्व का सबसे बडा बाजार ही नही है, बल्कि कुछ बेहद खूबसूरत, मुश्किल और हाथ से बनाई गयी ज्वेलरी के लिए भी मशहूर है। प्रीशियस गोल्ड ज्वेलरी खरीदते समय हम हमेशा ही बहुत उत्साहित रहते हैं लेकिन इस उत्साह में हमें यह नही भूलना चाहिये कि गोल्ड ज्वेलरी में बडी मात्रा में मिलावट होती है और कम कैरेट का सोना ज्वेलरी में मिलाया जाता है और क्वालिटी कन्ट्रोल के मामले में ये इंडस्ट्री सालों से मात खा रही है। ग्राहक को शुद्धता संबंधी चिंता से मुक्त करने के लिये ब्यूरो ऑफ इन्डियन स्टैन्डर्ड्स (बीआईएस) द्वारा हॉलमार्क संबंधी मानक और नीतियां बनाई हैं।
हॉलमार्क क्यों?
हॉलमार्क बताता है कि ज्वेलरी में गोल्ड कन्टेन्ट को जांचा गया है और इस गोल्ड की शुद्धता अंतर्राष्ट्रीय प्योरिटी मानकों के अनुरुप है। यही कहा जाता है कि आप ज्वेलर द्वारा बताई गई गोल्ड क्वालिटी पर हॉलमार्क के कारण विश्वास कर सकते हैं। जब आप कोई प्रीशियस ज्वेलरी खरीदने के लिए एक अच्छी खासी कीमत खर्च करते हैं, तो आपको केवल देखकर या स्पर्श कर के उसकी प्योरिटी पर भरोसा नहीं करना चाहिए। आपको यह ध्यान रखना है कि इस प्रीशियस यलो मैटल को खरीदते समय केवल ज्वेलर का सर्टिफिकेट आपके लिये सही नही है क्योंकि यह आपकी ज्वेलरी के बाय बैक के दौरान आपकी मदद नही करेगा।
गोल्ड की हॉलमार्किंग में बीआईएस द्वारा दिए गए हॉलमार्किंग के 5 मार्क होते हैं। इसके मार्क्स में शामिल है:
ये सारे हॉलमार्क हमारे द्वारा खरीदी गयी ज्वेलरी पर साफ़ छपे हुए देखे जा सकते हैं।
गोल्ड ज्वेलरी खरीदते समय कुछ ज़रूरी बातें ध्यान में रखें:
देखें कि: ज्वेलरी शोरूम में बेची जाने वाली ज्वेलरी बीआईएस हॉलमार्क वाली हों।
खरीदें: केवल हॉलमार्क वाली ज्वेलरी। यह शुद्धता और फिटनेस के मार्क को निश्चित करता है।
मांगें: रसीद जो की बीआईएस को आपकी शिकायतों (अगर को हो तो) को हल करने में मदद करे।
हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती. निश्चिंत रहें, अगर हॉलमार्क साइन है तो सोना शुद्ध ही है!
हॉलमार्क क्यों?
हॉलमार्क बताता है कि ज्वेलरी में गोल्ड कन्टेन्ट को जांचा गया है और इस गोल्ड की शुद्धता अंतर्राष्ट्रीय प्योरिटी मानकों के अनुरुप है। यही कहा जाता है कि आप ज्वेलर द्वारा बताई गई गोल्ड क्वालिटी पर हॉलमार्क के कारण विश्वास कर सकते हैं। जब आप कोई प्रीशियस ज्वेलरी खरीदने के लिए एक अच्छी खासी कीमत खर्च करते हैं, तो आपको केवल देखकर या स्पर्श कर के उसकी प्योरिटी पर भरोसा नहीं करना चाहिए। आपको यह ध्यान रखना है कि इस प्रीशियस यलो मैटल को खरीदते समय केवल ज्वेलर का सर्टिफिकेट आपके लिये सही नही है क्योंकि यह आपकी ज्वेलरी के बाय बैक के दौरान आपकी मदद नही करेगा।
गोल्ड की हॉलमार्किंग में बीआईएस द्वारा दिए गए हॉलमार्किंग के 5 मार्क होते हैं। इसके मार्क्स में शामिल है:
- बीआईएस स्टैन्डर्ड मार्क: यह बताता है कि हॉलमार्किंग तीसरे पक्ष द्वारा की गयी है और उसके पास प्रमाणता का मार्क है।
- प्योरिटी ग्रेड: भारत में गोल्ड ज्वेलरी बाईस या अठारह कैरेट की बेची जाती है। प्योरिटी की गणना तीन अंकों में की जाती है जो 23 कैरेट से शुरू होती है जिसका अर्थ 1000 में से 958 भाग शुद्ध होना है।
- एस्सयेर या हॉलमार्किंग सेंटर का मार्क: यह बीआईएस द्वारा स्वीकृत तीसरे पक्ष के पारखी का मार्क होता है जो उसे सोने को परखने का अधिकार देता है।
- मार्किंग का वर्ष: यह वर्णमाला का एक अक्षर होता है जो बीआईएस द्वारा निश्चित किया गया मार्किंग का वर्ष बताता है। जैसे ‘A’ बताता है कि 2001 में मार्क किया गया है, ‘B’ बताता है कि 2002 में मार्क किया गया है और ऐसे ही आगे भी।
- ज्वेलर का मार्क: यह निर्माता/ज्वेलर का पहचान मार्क होता है जो ज्वेलरी बेचता है।
ये सारे हॉलमार्क हमारे द्वारा खरीदी गयी ज्वेलरी पर साफ़ छपे हुए देखे जा सकते हैं।
गोल्ड ज्वेलरी खरीदते समय कुछ ज़रूरी बातें ध्यान में रखें:
देखें कि: ज्वेलरी शोरूम में बेची जाने वाली ज्वेलरी बीआईएस हॉलमार्क वाली हों।
खरीदें: केवल हॉलमार्क वाली ज्वेलरी। यह शुद्धता और फिटनेस के मार्क को निश्चित करता है।
मांगें: रसीद जो की बीआईएस को आपकी शिकायतों (अगर को हो तो) को हल करने में मदद करे।
हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती. निश्चिंत रहें, अगर हॉलमार्क साइन है तो सोना शुद्ध ही है!