Published: 27 सितंबर 2017
स्वर्ण का पुनर्चक्रण क्यों करना चाहिए ?
मानव समाज पर स्वर्ण का काफी व्यापक प्रभाव है, और समय के साथ यह मजबूत होता गया है. आभूषण से लेकर नकली दांतों तक और अन्तरिक्ष यानों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों तक, मनुष्य के अनेक आविष्कारों में स्वर्ण के गुणों का लाभ मिला है.
किन्तु, वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी की परत से स्वर्ण की खुदाई और संकर्षण आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं रह जाएगा, तथा हमारे लिए अतिरिक्त स्वर्ण प्राप्त करना समाप्त हो सकता है. अतएव, आज स्वर्ण का पुनर्चक्रण पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है, और ऐपल एक कम्पनी है जो इस दिशा में गंभीर पहल कर रही है – निःसंदेह भले के लिए.
स्मार्टफोन जैसे उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों में स्वर्ण की कुछ मात्रा होती है. उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों में स्वर्ण का प्रयोग वैसे तो इसके उत्कृष्ट सुचालक गुणों के कारण किया जाता है, लेकिन इसकी क्षरणरोधी क्षमता का भी उतना ही महत्व है. जंग खाई धातु विद्युत का संचारण नहीं कर पाती हैं, और इस तरह आपका इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तत्काल काम करना बंद कर देता है. अगर अभियंताओं के लिए उत्तम सुचाकलता ही एकमात्र कारण होता, तो इसे चांदी से भी बखूबी पूरा किया जा सकता था. मनुष्य की जानकारी में चांदी सबसे अधिक सुचालक पदार्थ होता है, लेकिन दुर्भाग्य से इसका तेजी से क्षरण होता है और इस तरह इसका प्रयोग असंभव है. तथापि, स्वर्ण की भारी कीमत होने के कारण, अभियंताओं के लिए चांदी की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक क्षरणरोधी धातु, ताम्बा सर्वोत्तम विकल्प होता है. लेकिन स्वर्ण की तुलना में ताम्बे की सुचालकता कम होती है. इस कारण से, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में, मुख्यतः दो इलेक्ट्रॉनिक अवयवों के बीच संपर्क के लिए थोड़ी मात्रा में स्वर्ण का प्रयोग किया जाता है.
मन में बात उठ सकती है कि वास्तव में आपके फोन में कितना स्वर्ण होता है? एक आइफ़ोन में औसतन 0.034 ग्राम स्वर्ण होता है. हालांकि यह अति सूक्ष्म मात्रा लगती है, किन्तु फ़ोनों की विशाल मात्रा देखें तो यह काफी दिलचस्प लगेगा, और ऐपल ने अपने पुनर्चक्रण अभियान में ठीक यही किया. ऐपल ने 90 मिलियन पाउंड इलेक्ट्रॉनिक कचरा एकत्र किया और उनमें से 2,204 पाउंड स्वर्ण निकाला, जिसकी कीमत 43.5 यूएस डॉलर के बराबर है. इस तरह इस कम्पनी ने स्वर्ण खरीदने की लागत कम की, क्योंकि स्वर्ण तो उतना ही लगा, लेकिन पुनर्चक्रण की बदौलत उसकी आंशिक पूर्ति हो गयी.