Published: 04 सितंबर 2017
वैश्विक बैंकों की आक्रामक मौद्रिक नीति का स्वर्ण के मूल्य पर संभावित प्रभाव
स्वर्ण के मूल्यों पर पूरे विश्व के केन्द्रीय बैंकों की प्रतिक्रियाओं के साथ-साथ ब्याज दरों और मौद्रिक समायोजन पर उनकी कारवाई का प्रभाव पड़ता है.
आक्रामक और शांत प्रतिक्रिया को समझने के लिए हमें सबसे पहले इनका अभिप्राय जानना होगा. आक्रामक कारवाई या आक्रामक प्रतिक्रिया होगी तब ब्याज दरें ऊंची हो सकतीं है या मौद्रिक नीति में उदारता नहीं होगी. जब केन्द्रीय बैंक आक्रामक रवैया अपनाने लगें तो समझ जाना चाहिय कि स्वर्ण के मूल्य में गिरावट हो सकती है.
दूसरी ओर, शांत प्रतिक्रया का अर्थ है कि मौद्रिक सहजता जारी रह सकती है और इसे साथ ही ब्याज दरें भी कम रहेंगी. ऐसा होने से मूल्य पर सकारात्मक असर पड़ सकता है और स्वर्ण का भाव चढ़ सकता है.
डॉलर पर भी इसका असर पड़ने की संभावना रहती है. डॉलर के कमजोर होने से स्वर्ण के लिए अनुकूल वातावरण बनता है. हाल में अमरीकी फ़ेडरल रिज़र्व के अधिकारियों ने कहा था कि वे उनकी मंशा फ़ेडरल बैलेंस शीट में कमी दिखाकर ब्याज दरें बढाने की थीं.
यूरोप में भी, खबर है कि यूरोपीय केन्द्रीय बैंक की उदार नीति शीघ्र ही वापस ली जा सकती हैं.
क्या सचमुच स्वर्ण के मूल्य पर इसका प्रभाव होता है?भूतकाल में ब्याज दर वृद्धि पर कोई ख़ास प्रभाव नहीं हुआ है. असल में, संयुक्त राज्य अमेरिका में हाल के समय में ही ब्याज दरें बढ़ाई गयीं हैं. पहले वहाँ दिसम्बर 2016 में ब्याज दरें बढ़ाई गयीं, जिसका स्वर्ण के मूल्य पर लगभग न के बराबर प्रभाव पडा था. लेकिन भारत जैसे देशों में केन्द्रीय बैंकों की नीतियों के अलावा भी अनेक घटक हैं जिनसे स्वर्ण के मूल्य निर्धारित होते हैं. विगत कुछ दसकों में वैश्विक केन्द्रीय बैंकों की कारवाई से इतर, भारत में स्वर्ण के मूल्य में रुपये के मूल्य में गिरावट के कारण उछाल आया है.
इसके अतिरिक्त, चुंगी में बार-बार परिवर्तन के कारण भी स्वर्ण का मूल्य प्रभावित हुआ है. न केवल भारत में, बल्कि साधारण तौर पर भी डॉलर के सन्दर्भ में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में स्वर्ण मूल्य में शायद ही कोई गिरावट देखने को मिली है. असल में, विगत कुछ वर्षों में कच्चे तेल जैसी वस्तुओं के भाव औंधे मुंह गिरे हैं, फिर भी स्वर्ण की मूल्यों में मजबूती बनी रही है.
ऐसा संभव नहीं है कि पूरे विश्व के केन्द्रीय बैंक, पूरे विश्व में मांग और वृद्धि के लगातार कमजोरी को देखते हुए एक साथ अत्यंत आक्रामक नीति अख्तियार कर लेंगे. ऐसा होता है तो भी, यह मान लेने का कोई कारण नहीं है कि आक्रामक मौद्रिक नीति के चलते स्वर्ण के मूल्य गिर जायेंगे. पूरे विश्व में निवेशकों द्वारा स्वर्ण को विविधिकरण साधन के रूप में इस्तेमाल की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण स्वर्ण की मांग में मजबूती बरकरार है.