Published: 22 मई 2024
उत्कृष्ट पारंपरिक सोने के फैशनेबल आभूषण
पूर्वोत्तर भारत में स्थित, सिक्किम, भव्य सुंदरता और विभिन्न संस्कृतियों के बेहतरीन मिश्रण वाला विशेष राज्य है। यह राज्नाय न केवल अपने सुंदर परिवेश के लिए प्रसिद्ध है बल्कि यह अपनी शानदार विरासत के लिए भी जाना जाता है। सिक्किम के लोगों का इतिहास और उनकी पारंपरिक मान्यताएँ भूटान, तिब्बत और नेपाल जैसे पड़ोसी क्षेत्रों की संस्कृति से गहराई से जुड़ी हुई हैं।
सिक्किम में भूटिया, नेपाली और लेप्चा समाज एकजुट हो कर रहते हैं| यहाँ के लोगों को प्रकृति के सुरक्षात्मक आलिंगन, रक्षा करने वाले ड्रैगन, अग्नि की शुद्धता, और 'जीवन चक्र' जैसी अलौकिक मान्यताओं पर अटूट विश्वास है, और ये विश्वास उनके सोने के आभूषणों में स्पष्ट झलकता है |
यह आर्टिकल आपको आस्था, विरासत, विश्वास ; सिक्किम में सोने के आभूषणों की दस्तकारी और यहां के प्रत्येक समुदाय के गंभीर विचारों को समझने में मदद करेगा।
भूटिया समुदाय अपने आभूषणों के माध्यम से बौद्ध धर्म के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं
सदियों पहले भूटिया समुदाय तिब्बत से आया था, और उनके प्रमुख बौद्ध धर्म की भावना उनके आभूषणों को प्रभावित करती है। ये आभूषण मोनेस्ट्री की दीवारों पर बने पवित्र प्रतीकों को दर्शाते हैं। कुछ प्रमुख भूटिया आभूषण इस प्रकार हैं:
येंचो एक गोल्ड-प्लेटेड कान की बाली है, जो आमतौर पर फ्लैट और गोल होती हैं। इन्हें मोम और गोल्ड कास्टिंग की प्रक्रिया से बनाया जाता है और फ़िरोज़ा तथा लाल मूंगा जैसे रत्नों से सजाया जाता है| येंचो अपनी हीलिंग प्रकृति के लिए प्रख्यात है
गोल्ड प्लेटेड बाली येंचो
खाओ नेकलेस भूटिया समुदाय की महिलाओं द्वारा पहने जाने वाला प्रसिद्ध, पारम्परिक आभूषण है. यह आभूषण कीमती धातुओं और रत्नों से बढ़कर है। पूर्व समय में, एक ताबीज़ रखने का बॉक्स होता था जो उन आदिवासी योद्धाओं को दिया गया जो युद्ध के दौरान बौद्ध भिक्षु या उनके कबीले की रक्षा के लिए उस क्षेत्र की यात्रा करते थे। बाद में, एक राजा ने अपनी धार्मिक मान्यताओं को दर्शाने के लिए 'मंडल' जैसे सामान्य मोटिफ के साथ एक अधिक आधुनिक और सरल डिज़ाइन की इच्छा जाहिर की।
खाओ 'प्रतीक से अनुरूपता का मेल' का उचित वर्णन करते हैं।
शुरुआत में, खाओ भारी, 100 ग्राम के, हुआ करते थे, हालाँकि, बाद में यह एक विशेष सांस्कृतिक फैशन भी बन गया. प्रत्येक खाओ को तराशने में तीन हफ्तों का समय लगता है और ये गोल या रेक्टेंगल शेप में होता है, हमेशा सुडौल, इसके आठ किनारे अष्टमंगल को दर्शाते हैं, जो बौद्ध धर्म में आठ शुभ संकेतों का प्रतीक है।
विभिन्न खाओ को अलग-अलग उद्देश्य के लिए पहना जाता था, जैसे परिपूर्णता, युद्ध में सुरक्षा, और समृद्धि के लिए। ये दो तरह के होते हैं - एक पूरा सोने का बना होता है और दूसरा टर्क्वॉइज़ तथा अन्य बीड्स और स्टोंस जैसे कीमती रत्नों से बना होता है।
अन्य प्रसिद्ध भूटिया आभुषण फिरू है, यह मोतियों का नेकलेस होता है जिसमें टर्क्वॉइज़ और Dzi बीड्स अधिक मात्रा में होते हैं; दीयु , यह एक पारम्परिक और उत्कृष्ट कंगन जो सिक्किम की विवाहित महिलाओं द्वारा पहना जाता है, और जोको, यह एक अंगूठी है जिसमें बीच में लाल मूंगा होता है, इसे पुरुष और महिला दोनों पहन सकते हैं।
विवाहित महिलाओं द्वारा पहने जाने वाला कंगन दीयु
ये भी गहनें ड्रैगन और लोटस जैसे मोटिफ लेकर डिज़ाइन किये गये हैं और विभिन्न कीमती रत्नों और रंग-बिरंगे स्टोंस से सजाए जाते हैं। भूटिया समुदाय के लोग सोने की शुद्धता और टर्क्वॉइज़ तथा लाल मूंगा की हीलिंग प्रकृति पर बहुत भरोसा करते हैं।
नेपाली लोगों की आध्यात्मिक आस्था उनके आभूषणों के माध्यम से दिखाई देती है
नेपाल के आभूषण सिक्किम की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत की आकर्षक झलक है। यह हिंदू और बौद्ध श्रेष्ठता को जोड़ता है और एक विशेष आकर्षण देता है। इनके आभूषणों में सामान्य रूप से कमल या ओम के मोटिफ होते हैं जो उनमें जो गहरे आध्यात्मिक महत्व को दर्शाते हैं।
कंठ कंठा लाल धागे से बंधा सोने का नेकपीस है और यह माना जाता है कि इसमें पैतृक आशीर्वाद शामिल होता है। सिक्किम में राजशाही समाप्त होते ही, मध्यम वर्ग के स्तर में वृद्धि हुई, जिससे राज्य का सामाजिक-आर्थिक स्वरूप बदल गया। सामान्य लोगों के लिए इसे सुविधाजनक बनाने के लिए कारीगरों ने कंठा चोकर के अधिक छोटे वर्ज़न डिज़ाइन करना शुरू कर दिया, और नेपाल के लोगों को इसे नये फैशन के रूप में पहनने का मौका मिला।
कंठ दुल्हन द्वारा पहना जाने वाला आवश्यक आभूषण है और फैशनेबल है, यह आमतौर पर काले या लाल रंग का होता है
नौगेरी (नौ का अर्थ नाईन, एक ऐसी संख्या जो सांस्कृतिक पहचान का एक प्रभावकारी प्रतीक है) एक पारम्परिक नेकलेस है जिसमे नौ सोने की बीड एक लम्बी माला में पिरोयी जाती हैं । ये बीड दिखने में रुद्राक्ष के जैसी होती हैं और महिलाएं भगवान शिव जैसे पौरुष और गुणों वाले पति की आकांक्षा रखते हुए इसे पहनती हैं
नौगेरी को ड्रैगन और अग्नि से प्रेरित सोने के नौ पीस से सजाया जाता है
तिलहरी एक लंबा, हैंगिंग नेकलेस है, जिसे विशेष रूप से लाल या हरे रंग की बीड्स के साथ पिरोया जाता है। शादी के दिन के लिए, बीड्स आमतौर पर हरे रंग के होते हैं; लाल रंग के बीड्स को शादी के बाद पहना जाता है। इनमें से कुछ नेकलेस इतने बड़े होते हैं कि इन्हें शरीर में सैश के रूप में भी पहना जा सकता है।
तिलाड़ी पर लगे पेंडेंट में विशेष रूप से सात ग्रूव होते हैं, जो हफ्ते के सात दिनों का प्रतीक हैं और जीवन की निरन्तरता को दर्शाते हैं. यह आभूषण स्पिंडल या धुरी शेप का है, जो परिक्रमण को दर्शाता है और प्रत्येक व्यक्ति के जीवन चक्र का वर्णन करता है. इसके अतिरिक्त, यह पेंडेंट परिपूर्णता, साहस, और उत्साह का प्रतीक है. ग्रूव्स के बीच में थोड़ा धारीदार भाग पवित्र रुद्राक्ष के बीजों का वर्णन करता है।
तिलहरी परिपूर्णता, साहस, और उत्साह का प्रतीक है
कुछ अन्य प्रसिद्ध नेपाली आभूषण हैं सर-बंदी (माथे पर झूलते पेंडेंट के साथ सोने से बना एक हेडगियर), टिक माला (भारी नेकपीस), बुलाकी (झुमका), और डुंगरी (नोज़-पिन)। ये आभूषण विवाहित महिलाओं द्वारा प्रतिदिन और अधिकतर सांस्कृतिक कार्यक्रमों और त्यौहारों में पहने जाते हैं।
अन्य समुदाय और उनके आभूषण
लेपचा, लिम्बु, और तमांग सिक्किम की तीन अन्य प्रमुख आदिवासी समुदाय हैं, और प्रत्येक के विशेष पारम्परिक आभूषण हैं. लेप्चा के आभूषणों के विशिष्ट पीस होते हैं जैसे लयाक, नामचोक, ग्यार, नेस्सी और लस्करी। लिम्बु समुदाय के आभूषण अपने सैम्यांगफंग हेडगियर के लिए प्रसिद्ध हैं, और तमांग जनजाति खाऊ पेंडेंट और कमल की कलियों के आकार की अकोर बालियां पहनती है।
सिक्किम के आभूषणों में कारीगर नई उर्जा कैसे डालते हैं?
सिक्किम के आभूषणों का निर्माण कला के प्रति कारीगरों के जुनून और प्रेम का प्रतीक है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है। प्रत्येक आभूषण को पारम्परिक तरीकों का उपयोग करके बनाया जाता है ताकि हर आभूषण आकर्षक लग सके|
आभूषण को बेहतरीन आकार देने के लिए यह प्रक्रिया एक प्रोटोटाइप मोल्ड से शुरू होती है। कारीगर विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हैं जैसे हथौड़े और लोहे की कील से नरम सोने पर पूरे मोटिफ्स को या किसी रत्न को सुरक्षित रखने के लिए कांटे और बेज़ेल सेटिंग का उपयोग करना।
ये आभूषण केवल एक्सेसरी मात्र नहीं हैं; बल्कि ये प्रत्येक समुदाय के इतिहास और संस्कृति को दर्शाते हैं और बताते हैं कि कैसे आभुष्ण पिछली आधी सदी में कैसे बदल गए हैं।
निष्कर्ष
विभिन्न आदिवासी समुदायों की परंपराओं का मिश्रण सिक्किम के आभूषणों को वास्तव में अद्भुत और फैशनेबल बनाता है। इन समुदायों ने सदियों से एक साथ रहते हुए एक-दूसरे के साथ संस्कृति और विरासत को बांटा है, जिससे एक ऐसा प्रभाव पैदा हुआ है जो प्रतीकात्मकता और सुंदरता का सुसंगत मिश्रण है। सिक्किम के आभूषण सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक प्रमाण हैं|ये एक एक महत्वपूर्ण कला का निर्माण करते हैं जो सुंदरता और प्रतिष्ठित शिल्प कौशल की आधुनिक अभिव्यक्ति के सामान है|