Published: 09 फ़रवरी 2018
स्वच्छ ऊर्जा में स्वर्ण की भूमिका
सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकी में स्वर्ण की बढ़ती भूमिका के कारण मध्यम से लेकर लम्बी अवधि में स्वर्ण की मांग पर नैनो टेक्नोलॉजी का प्रभाव पड़ सकता है. चमकीले रोगन और कांच से बने सामानों में काफी समय से स्वर्ण का प्रयोग हो रहा है. 1960 के दसक से भवनों में ऊर्जा दक्षता बढाने के लिए चमकीले रोगन पर एक पतली परत के रूप में स्वर्ण का उपयोग हो रहा है.
स्वर्ण की उत्कृष्ट परालाल परिरक्षण क्षमता व्यापक परावर्तन के साथ भवनों को अधिक गर्म होने से बचाती है और इस तरह ऊर्जा लागत कम करने में मदद करती है. यही कारण है कि टोरंटो के रॉयल बैंक प्लाजा के भवन की सभी 14,000 खिडकियों पर शुद्ध स्वर्ण की परत चढ़ाई गयी है.
सौर उपकरणों और स्वर्ण के बीच का सम्बन्ध हाल के वर्षों में और मजबूती से स्थापित हुआ है. सूर्य की ऊर्जा का अधिक लाभ उठाने और इसे विद्युत में परिवर्तित करने के लिए अनेक प्रकार की सौर बैटरियों में स्वर्ण के सूक्ष्म कणों का समावेश किया गया है. पेरोव्स्काईट सौर बैटरियों में, जो सबसे अधिक संभावनाशील सौर बैटरी प्रौद्योगिकियों में से एक मानी जाती हैं, स्वर्ण इलेक्ट्रोड का प्रयोग होता है. हालांकि फिलहाल इस तरह की बैटरियां परम्परागत सिलिकॉन आधारित प्रौद्योगिकी जितनी लम्बी अवधि तक नहीं चलती हैं, तथापि उनके औद्योगिकीकरण की दिशा में प्रगति हो रही है.
स्वर्ण की मांग और उपयोग के सम्बन्ध में सौर उद्योग काफी हद तक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग का अनुसरण कर सकता है. यह संभव है कि सौर प्रौद्योगिकी में सूक्ष्म कणों या परत के रूप में स्वर्ण का प्रयोग व्यापक पैमाने पर हो सकता है. इसकी परिणति के रूप में ख़ास सौर मोडयुल्स की भारी संख्या में स्वर्ण की अल्प मात्रा का समावेश होगा और स्वर्ण की मांग में काफी वृद्धि होगी.
हो सकता है कि आने वाले समय में स्वर्ण युक्त सौर बैटरियों से भवनों में बिजली की आपूर्ति होने लगेगी.