Published: 10 अगस्त 2017

रामायण के स्वर्णिम क्षण

Gold Ramayana

स्वर्ण ने हमेशा ही हिन्दू धर्म में महती भूमिका निभाई है। देवी और देवता हैं जो धन के आधिपति हैं, साथ ही अनेक श्लोकों में यह विवरण आता है कि उसका पाठ करने से घर पर स्वर्ण वर्षा होती है। इन सन्दर्भों को हिन्दू महाकाव्य रामायण में भी पाया जा सकता है।

रामायण अर्थात भगवान राम की कथा जो विष्णु के सातवे अवतार हैं, उनकी धर्मपत्नी सीता और भ्राता लक्ष्मण की मुख्य कथा है। भारत के सबसे प्रिय व बहुमूल्य धातु माने जाने वाले स्वर्ण द्वारा इस कथा में मुख्य भूमिका की गई है। इस महाकाव्य के अनुसार राम, लक्ष्मण और सीता 14 वर्षों के वनवास हेतु जाते हैं, वहां पर लंकाधिपति रावण सीता का हरण कर लेता है और वहां से युद्ध शुरु होता है।


चुनौती

रावण के साथ युद्ध के पश्चात भगवान श्रीराम से यह कहा जाता है कि उनके सामने अपने राज्य की तुलना में व्यक्तिगत संबंधों का महत्व अधिक था। इस सोच के सामने आते ही, श्रीराम स्वत्व सिद्ध करने हेतु अपने भाई लक्ष्मण को कहते हैं कि वे सीता को वन में छोड़कर आए। परंतु उन्हे अपनी ओर से आहुतियां व त्याग करने की भी आवश्यकता होती है और इसके लिय अर्धांगिनी अर्थात सीता का होना आवश्यक होता है। उनके आध्यात्मिक गुरुओं द्वारा यह सुझाव दिया जाता है कि वे अपनी पत्नी के बिना इस धार्मिक परंपरा का निर्वहन नही कर सकते, इसलिये उन्हे या तो सीता को पुन: बुला लेना चाहिये अथव अपुनर्विवाह कर लेना चाहिये, परंतु श्रीराम द्वारा दोनो ही मार्ग स्वीकार नही किये जाते। अन्त में उनके गुरुओं द्वारा यह सलाह दी जाती है कि वे श्री सीता जी की एक स्वर्ण प्रतिमा बनाएं और उसे अपने साथ बैठाकर इस धार्मिक आहुति के प्रसंग को पूरा करें। प्रत्येक बार जब भी श्रीराम द्वारा धार्मिक समारंभ किये गए, तब सीताजी की स्वर्ण प्रतिमा बनाई गई।


अपहरण

रावण के काक, मारीच द्वारा स्वयं को एक सुन्दर स्वर्ण हिरन के रुप में बदलकर सीता के अपहरण में सहायता की थी।

राक्षस राज रावण के पास एक विमान था जिसका नाम था पुष्पक, यह स्वर्ण से बना था और रावण के मस्तिष्क की गति से चलता था। .

रावण द्वारा सीता का अपहरण कर लेने के बाद, हनुमान लंका में इस संबंध में जानकारी प्राप्त करने के हेतु से गए। सीता द्वारा हनुमान को एक निशानी के रुप में स्वर्ण का चूड़ामणि दिया गया और उसे श्रीराम को देने के लिये कहा गया।

रहन सहन

राम, लक्ष्मण और सीता द्वारा राजसी वस्त्र, स्वर्ण के मुकुट और स्वर्ण के आभूषण पहने गए थे, इससे पहले कि वे वनवास पर जाएं। रावण से युद्ध करते समय गरुड राज जटायु द्वारा भी यह कहा गया था कि उन्हे सिर्फ भगवान विष्णु, भगवान शिव और मां सीता द्वारा पहनी गई स्वर्ण की शक्तिशाली अंगूठी से भय प्रतीत होता है।

लंका, स्वर्णनगरी

रावण द्वारा जिस नगरी पर राज्य किया जाता था, उस लंका को स्वर्ण नगरी कहा जाता था। वह सोने की लंका ही कहलाती थी, कहा जाता है कि यहां पर बड़े बड़े प्रासाद थे जो स्वर्ण की दीवारों से बने थे और स्वर्ण के बड़े बड़े पथ भी मौजूद थे। स्वर्णनगरी लंका पर इससे पहले धनदेवता कुबेर का शासन था।

Sources:
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