Published: 27 सितंबर 2017
भारतीय वास्तुशिल्पीय आश्चर्यों में छिपा स्वर्ण भण्डार
“अलीबाबा और चालीस चोर” हमारे बचपन की सबसे लुभावनी बाल-कथा थी, है ना? खजाने की खोज अत्यंत रोमांचक लगती है. अगर हम कहें कि वास्तविक खजाना मौजूद है (सचमुच!), और खोज के लिए आपका इंतज़ार कर रहा है, तो आप चौक जायेंगे न!
अनेक विदेशी आक्रान्ताओं ने भारत को लूटा, किन्तु वे हमारी चतुर राजाओं द्वारा गुप्त तिजोरियों में छिपाए गए भारी खजानों को नहीं ले जा सके. अनुमान लगायें, वह क्या था. ऐसे पांच “गुप्त” खजानों की जगह ज्ञात है. उनकी सूची इस प्रकार है : (सबसे विशाल खजाने का विवरण सबसे अंत में हैं)
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शाही कोठी महल, हैदराबाद
2008 में जारी सूची में, फोर्ब्स पत्रिका ने हैदराबाद के निज़ाम, मीर उस्मान अली को “अभी तक का पांचवा सबसे धनवान” का स्थान दिया था, जिसकी सकल संपत्ति $210.8 बिलियन थी. 1937 में, टाइम पत्रिका ने उसे ‘विश्व के सबसे धनवान व्यक्ति’ की संज्ञा दी थी. उसके जीवन के अधिकाँश वर्ष शाही कोठी महल में व्यतीत हुए, जहां भूमिगत तहखानों में उसका खजाना भरा बताया जाता है.
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श्री मोक्काम्बिका मंदिर, कर्नाटक
कर्नाटक में पश्चिमी घाट के कोल्लूर पहाडी तलहटी में अवस्थित, इस मंदिर की वार्षिक आय 17 करोड़ रुपये है. पुजारियों का मानना है कि मंदिर के भीतर सांप का चिन्ह, इसके नीचे छिपी विपुल संपत्ति का संकेत है. खजाने को छोड़कर, मंदिर में विद्यमान रत्नों का मूल्य ही 100 करोड़ रुपये से अधिक है.
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बाला किला, अलवर, राजस्थान
स्थानीय किंवदंती के अनुसार, मुग़ल सम्राट जहांगीर ने अपनी निर्वासन अवधि में बाला किला, अलवर, राजस्थान में शरण ली थी, और सुरक्षा के लिए भटकते हुए किले के जंगल में अपना खजाना छिपा दिया था. उस खजाने को पूरी तरह दोबारा हासिल नहीं किया जा सका, और उसका एक विशाल भाग अभी भी वहाँ गड़ा है. कहा जाता है कि इस खजाने में सबसे मूल्यवान वस्तुओं में से एक है बिना जोड़ वाला मणि का प्याला.
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जयगढ़ किला, जयपुर
जयपुर का पूर्व शासक, मान सिंह-1 अकबर के शाही दरबार के नवरत्नों में से एक और उसकी सेना का सेनापति था. कहावत है कि 1580 के दशक में अफगान विजय करके लौटने पर उसने खजाने को जयगढ़ किले के प्रांगण में छिपा दिया और अकबर को नहीं बताया. पूर्व प्रधानमन्त्री, इंदिरा गांधी ने इसकी खोज करवाने का आदेश दिया था, किन्तु रिपोर्ट बताते हैं कि यह अभियान व्यर्थ साबित हुआ. विपक्ष ने आरोप लगाया कि उस खजाने को प्रधानमन्त्री के निवास पर पहुंचा दिया गया, किन्तु इसका कोई प्रमाण नहीं है. इसका रहस्य बरकरार है.
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पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल
विश्व के सबसे धनाढ्य मंदिर के रूप में ज्ञात यह मंदिर, जून 2011 में तहखाना क (छः तहखानों में से एक) को खोजे जाने के बाद विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हो गया. देवता के लिए सुरक्षित स्वर्ण आभूषणों और अलंकारों के खजाने की अनुमानित कीमत $22 बिलियन, यानी भारी-भरकम 14,16,69,00,00,000 रुपये है! मंदिर में एक और रहस्यपूर्ण तहखाना ख है, जो दैत्याकार सर्पों से सुरक्षित है. कोई नहीं जानता कि दरवाजे के पीछे क्या है. किंवदंती है कि, जो कोई इसे खोलेगा, उस पर भारी विपत्ति टूट पड़ेगी.
कौन कहता है कि भारत ने अपना “सोने की चिड़िया” का नाम खो दिया है? इन खजानों को खोज लिया जाए, फिर हम विश्व में सबसे संपन्न देश बन सकते हैं!