Published: 21 अगस्त 2018
राजपूताना आभूषण - राजस्थानी संस्कृति की पहचान
राजपूत राजवंशों ने 7वीं से 1 9वीं सदी तक शासन किया और इस दौरान अनेक कुशल कारीगरों ने कुछ सोने के आभूषणों के कई असाधारण डिजाइनों का सृजन किया। राजस्थान में पैदा हुई राजपूताना स्वर्ण आभूषण शैली भारत में आभूषणों की सबसे उत्तम शैलियों में से एक है। आभूषणों की राजपूताना शैली अपनी शाही विरासत और समृद्ध संस्कृति को प्रतिबिंबित करती है और आज भी राजस्थानी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। सोने के राजपूताना आभूषणों के कुछ लोकप्रिय डिजाइन यहां दिए जा रहे हैं:
हथफूल
इसे पंचांगला के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है 'उंगलियों के गहने'। हथफूल में एक सिरे पर एक बड़ा-सा फूल (जड़ाऊ या मीनाकारी किया हुआ) कलाई पर ब्रेसलेट पर होता है और दूसरे सिरे पर चेन द्वारा सोने की अंगूठी से जुड़ा होता है, जो हथेली के पिछले हिस्से पर पहनी जाती है। यह छोटे-मोटे कार्यक्रम में पहना जाने वाला सुंदर-सा गहना है, जैसेकि परिवार के लोगों या सहयोगियों से मिलना-जुलना या उत्सव मनाना।
आड़
एक पारंपरिक आयताकार या वर्गाकार चोकर यानी आड़ को राजपूताना हार के रूप में भी जाना जाता है। चोकर कुंदनकारी (रत्न आभूषण) किया हुआ होता है और दोनों तरफ दो चेनें होती हैं, जिनसे गर्दन के पीछे बांधा जाता है। राजस्थानी शादियों में आड महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दुल्हन के परिवार द्वारा दुल्हन को दिया जाता है। आज, आड़ नये डिजाइनों में भी उपलब्ध है और आधुनिक दुल्हनें भी इसे पहनती हैं।
बाजूबंद
राजस्थानी दुल्हन द्वारा बांह में पहने जाने वाला आभूषण यानी बाजूबंद (जिसे अंगदा भी कहा जाता है) पर मीनाकारी की हुई होती है। शुरुआत में यह पुरुषों द्वारा पहना जाता है, बाद में यह महिलाओं के बीच ज्यादा लोकप्रिय हो गया। राजपूताना समय में मगरमच्छ और सांप इसके सबसे आम डिजाइन थे, लेकिन अब ये आधुनिक डिजाइनों में भी उपलब्ध हैं।
तगड़ी या करधनी
कमर में पहनी जाने वाली तगड़ी आमतौर पर सोने और कभी-कभी कुंदनकारी की हुई होती है।
बोरला या रखड़ी
ज्यादातर घंटी के आकार का या गोल आकार का बोरला आमतौर पर मांग का टीका होता है, जो सोने का बना होता है और कुछ कुंदनकारी भी की हुई होती है।
नथ
सोने का गोलाकार नाक का छल्ला यानी नथ आमतौर पर नाक के बाएं हिस्से में पहनी जाती है। यह एक सोने की चेन से बाएं कान से जुड़ा होती है। छोटे-से गोलाकार छल्ले से लेकर अमूर्त भारी कुंदनकारी वाली नथ विभिन्न रूपों में मिलती है और अधिकांश उत्तर भारतीय दुल्हन द्वारा पहनी जाती है।
कानबाली या झाले
राजस्थानी सोने के झुमके या बालियां उत्तरी भारत में काफी लोकप्रिय हैं। कुंदनकारी या मीनाकारी और पुराकालीन डिजाइन उन्हें विशेष और अनूठा बना देते हैं।
आज भी, राजपूताना आभूषणों में कुछ खूबसूरत डिज़ाइन भारत और विदेशों में भी आभूषण पेटी के लिए बहुत अहम और मूल्यवान माने जाते हैं।