Published: 21 अगस्त 2018
शुद्धता तकनीक में स्वर्ण की भूमिका
स्वर्ण यानी सोना दशकों से तकनीक के क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा रहा है। लेकिन नैनो तकनीक के विकास के साथ ही सोने को व्यावसायिक रूप से ज्यादा सक्षम तकनीकी अनुप्रयोग मिल गए हैं।
निम्नलिखित विभिन्न तरीकों से सोना शुद्धता तकनीक में सहायक होता है:
उत्प्रेरक के रूप में
पारा को खत्म करना
सोने के नैनो कण रासायनिक और प्लास्टिक उद्योग में उत्कृष्ट उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं। अभी तक का पहला सोना-आधारित यह उत्प्रेरक 2016 में डिजाइन किया गया था, जिसने विनाइल क्लोराइड मोनोमर (वीसीएम) के संश्लेषण में सुधार करने में मदद की। वीसीएम का प्रयोग पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) बनाने के लिए किया जाता है, जिसका औद्योगिक पाइप बनाने और बिजली के तारों के लिए तापावरोधक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ।
वर्षों से पीवीसी संश्लेषण के लिए पारा-आधारित उत्प्रेरक का उपयोग किया जा रहा था। जितने बड़े पैमाने पर वीसीएम का उत्पादन होता है, उसमें पारा का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। सोना-आधारित उत्प्रेरक निर्माताओं को अत्यधिक जहरीले रासायनों को निकालने और उसे शुद्ध-परिशुद्ध करने में सक्षम बनाता है।
यह नयी खोज निर्माताओं को पारा पर मिनेमाटा सम्मेलन (जिसमें कहा गया है कि सभी कारखाने 2022 तक पारा-मुक्त होन चाहिए) का अनुपालन करने और लागत को कम करने में भी मदद करेगी। इस तकनीक को जितनी तेजी से अपनाया जाता है, इस पर निर्भर करता है कि इस क्षेत्र में 1-5 टन की कुल मांग पैदा हो सकती है।
शुद्ध विद्युत यानी बिजली का निर्माण
नए जमाने में सोना-आधारित उत्प्रेरक का इस्तेमाल ईंधन कोशिकाओं में भी किया जा रहा है। ईंधन कोशिकाएं पर्यावरण के अनुकूल विद्युत इकाइयां हैं जो सिर्फ पानी से उप-उत्पाद के रूप में विद्युत पैदा करती हैं। लेकिन उनको अपना काम करने के लिए हाइड्रोजन के शुद्ध प्रवाह चाहिए होता है, जो उत्प्रेरक के बिना संभव नहीं है, जोकि कम तापमान पर काम कर सकता है।
चूंकि सोना-आधारित उत्प्रेरक पहला ऐसा उत्प्रेरक है जो इन आवश्यकता पर खरा उतरता है, इसलिए बिजली के उत्पादन में सोने के उपयोग की जबरदस्त गुंजाइश है।
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सौर ऊर्जा का निर्माण
क्या आप जानते हैं कि 1960 के दशक से कांच पर सोने का पानी चढ़ाने के लिए इस्तेमाल होता है?
इसकी अवरक्त-परिरक्षण क्षमता इमारतों को अत्यधिक गर्म होने से रोकती है, जिससे ऊर्जा लागत कम हो जाती है।
इसी विचार के मद्देनजर, सूर्य से ऊर्जा पैदा करने में सोने के नैनो कण सौर कोशिकाओं में सक्रिय रूप से इस्तेमाल किए जा रहे हैं। सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली सौर कोशिकाओं में - पेरोव्स्काइट सौर कोशिकाएं - सोने के इलेक्ट्रोड का उपयोग होता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की तरह, जिसमें कि सेल फोन से लेकर टीवी और कैलकुलेटर तक लगभग हर चीज में बहुत कम मात्रा में सोने का उपयोग होता है, सौर उद्योग भी सोने को गले लगा रहा है। चाहे वो नैनो कणों के रूप में हो या कोटिंग फॉर्म में हो; अब हम सौर पैनलों में बड़े पैमाने पर सोने के उपयोग की संभावना को देख सकते हैं।
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पहले औद्योगिक उत्प्रेरण में, फिर ईंधन कोशिकाओं के उत्पादन में, और अब सौर तकनीक में सोने का उपयोग - इसमें शुद्धता तकनीक में एक नई लहर उठाने की क्षमता है, जो वास्तव में समय की जरूरत भी है।