Published: 08 सितंबर 2017
क्या सोना खरीदने का कोई सही समय होता है?
किसी भी प्रकार के निवेश का हेतु होता है अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा कर पाना और संपत्ति निर्माण करना। और ये लक्ष्य हो सकते हैं अपना घर, शिक्षा या विवाह के लिये धन की व्यवस्था, सेवानिवृत्ति और स्वास्थ्य के लिये धन की व्यवस्था करना। इसलिये यह महत्वपूर्ण है कि आपके निवेश का निर्णय आपके व्यक्तिगत वित्तीय लक्शःय के अनुरुप हो।
आपके लक्ष्यों पर निर्भर होकर, आपकी जोखिम की क्षमता और वास्तविक आय के अनुरुप आप अपने पोर्टफोलियो को चुनकर सही संपत्ति की श्रेणी में निवेश कर सकते हैं। इस निवेश में समय भी महत्वपूर्ण कारक है। आपको प्रत्येक निवेश के संबंध में उसकी परिपक्वता अवधि को लेकर विचार करना चाहिये, आपको सही समय के बारे में भी तय करना चाहिये जिससे खरीदने या बेचने की क्रिया के साथ ही आप अपने लक्ष्य को पूरा कर सके। निवेश के लिये सही समय का चुनाव करने से आप अपने निवेश से बेहतर प्राप्ति कर सकते हैं।
दीर्घावधि लाभ के लिये स्वर्णनिवेश संबंधी एक सामान्य व लोकप्रिय सलाह दी जाती है ’कम में खरीदो, ज्यादा में बेचो’ और इसके पीछे अनेक कारण होते है जिनमें लाभ अधिक प्राप्त होना प्रमुख है। यही तथ्य स्वर्ण के लिये भी लागू होता है। इस प्रकार में किसी कार्य प्रकार को शामिल न करते हुए, झुण्ड का पीछा किया जाता है। मानसिक प्रकार से काम किया जाए, तब मूल्य बढ़ने पर खरीदना और कम होने पर बेचना यह तथ्य सामने आता है जिससे प्रत्येक को मौके का फायदा मिल सके। सही समस्या तब आती है जब नौसीखिये निवेशक को यह पता नही चलता कि कम या ज्यादा वाली स्थिति कम आ रही है। इस कारण आप पीछे रह जाते हैं या फिर आपको नुकसान होता है।
इसलिये, सोना खरीदने का सबसे बेहतर समय तब होता है जब वे सभी कारक जो इसके मूल्य को प्रभावित करते हैं, वे स्थिर होते हैं और लंबी अवधि तक बढते रहते हैं और इनमें थोड़ी सा, कम अवधि उछाल न हो।
वे बल जो कीमत को ऊपर ले जाते हैं या नीचे लाते हैंभारत में स्वर्ण की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार से व मुद्रा के समायोजन से प्रभावित होती हैं। यह इसलिये होता है क्योंकि भारत द्वारा अधिकांश मात्रा में स्वर्ण को आयात किया जाता है। इसलिये स्वर्ण की कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक महत्वपूर्ण है। प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक इस प्रकार हैं:
- राजनीतिक स्थिरता: स्वर्ण तब सबसे सुरक्षित व प्राथमिक निवेश बन जाता है जब राजनीतिक अस्थिरता के कारण वैचारिक स्थिति व संवेदनाएं स्थिर नही रहती हैं। इसलिये निवेशक बेचते कम हैं और खरीदते ज्यादा हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा नीतियां: बढ़ती ब्याज दर और सरल धन की नीतियां बन्द करने से केन्द्रीय बैंकों द्वार स्वर्ण की कीमतों को नीचे ले जाने का काम किया जाता है। ब्याज की दर कम होने से मुद्रास्फीति बढ़ जाती है, इससे स्वर्ण को एक आकर्षक निवेश अवसर मान लिया जाता है। यह इसलिये होता है क्योंकि निवेश को स्वर्ण में बदलने की अवसर की लागत कम होती है, यह ब्याज पर आधारित संपत्तियों से अलग होता है। बहरहाल जब ब्याज की दर बढ़ती है, तब निवेशक अधिक गारंटी वाले रिटर्न की संपत्तियों की ओर जाते हैं।
- मुद्रास्फीति:स्वर्ण की कीमतें तब बढ़ती हैं जब मुद्रास्फीती बढ़ती है और इसके कम होने पर स्वर्ण की कीमतें भी कम होती हैं। स्वर्ण को तब सुरक्षित माना जाता है जब आर्थिक अस्थिरता हो, खासकर मुद्रास्फीती। दीर्घावधि स्थिरता जो कि स्वर्ण के बाजार में होती है, इसे सुरक्षित बना देती है। इसलिये, स्वर्ण की मांग मुद्रास्फीति के दौरान बढ़ जाती है और इसका असर इसके मूल्य पर भी पड़ता है।
- मुद्रा का अवमूल्यन: यूएस डॉलर का मूल्य बढ़ना, जिसे सकारात्मक वृद्धि संवेदना का असर माना जाता है, इसके कारण स्वर्ण की कीमतें कम होती हैं। यह इसलिये क्योंकि स्वर्ण और यूएस डॉलर में प्रतिलोम संबंध है जैसा कि वर्ष 2016 में देखा गया। इस वर्ष में, यू एस डॉलर के कमजोर होने पर स्वर्ण की कीमते बढ़ गई थी।
- सरकारी ड्यूटी/कर:आयात ड्यूटी के कारण भारत में स्वर्ण की कीमते बढ़ती हैं। इसलिये इसका उपयोग भारत सरकार द्वारा आयात को हतोत्साहित करने के लिये किया जाता है।
- मांग और पूर्ति का वलय: किसी भी सामान या सेवा के साथ यही होता है कि मांग बढ़ने के साथ ही कीमतें भी बढ़ जाती है। इस विषय में देखा जाए, तब स्वर्ण का बाजाए सबसे बेहतर कारक माना जा सकता है। आभूषण और सिक्कों को खरीदना भारत में सांस्कृतिक विरासत के रुप में माना जाता है और यह वैवाहिक अवधि और उत्सवों के दौरान दुगुना हो जाता है जैसे मकर संक्रांति, पुष्य नक्षत्र, उगाडी/ गुडी पडवा, अक्षय तृतिया, नवरात्रि, दशहरा, धनतेरस और बलिप्रतिपदा। यहां पर कुछ विशेष दिवस दिये जा रहे हैं जब स्वर्ण खरीदना सौभाग्य सूचक माना जाता है।
स्वर्ण खरीदने का सही समय तब है जब एक निवेशक अपने लंबे समय से मौजूद, उपयोग में न आ सकने वाली संपत्ति को उनके पोर्टफोलियो में जोड़ना चाहता है। वैसे किसी भी प्रकार से कीमतों का लाभ पाने के लिये, स्वर्ण में निवेश को अवधि, आधुनिक निवेश विकल्प के रुप में देखा जाना चाहिये परंतु समय समय पर थोड़ा निवेश जारी रखना चाहिये।