Published: 25 नवंबर 2024
नक्काशी ज्वेलरी के सुनहरे इतिहास की खोज
नक्काशी ज्वेलरी का इतिहास
तमिलनाडु की बारीक कारीगरी की परंपरा दो हजार साल से भी अधिक पुरानी है और इसमें कई शानदार कृतियाँ शामिल हैं। इनमें से एक है कोयंबटूर की नक्काशी ज्वेलरी, जो राज्य की संस्कृति में गहराई से जुड़ी हुई है। नक्काशी ज्वेलरी का सुनहरा इतिहास इसके गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को दर्शाता है, जो पीढ़ियों से समृद्धि और भक्ति का प्रतीक रहा है।
टेंपल ज्वेलरी से विकसित हुई नक्काशी ज्वेलरी देवी-देवताओं के शृंगार के लिए बनाई गई पारंपरिक ज्वेलरी है। समय के साथ, जैसे-जैसे ज्वेलरी बनाने की कला विकसित हुई, इन दोनों शैलियों ने एक-दूसरे को प्रभावित किया और आधुनिक समय की टेंपल जेवलरी का रूप ले लिया।
कोयंबटूर की नक्काशी ज्वेलरी के सुनहरे इतिहास की खोज
भारत के कई हिस्सों में, सोना सदियों से धन, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक रहा है। समुद्र मंथन जैसी पौराणिक कथाओं ने सोने के इतिहास और महत्व को और गहरा बनाया, विशेष रूप से नक्काशी ज्वेलरी में।इसने 2,000 साल पहले कोयंबटूर में ज्वेलरी बनाने की कला को प्रभावित किया।
नक्काशी ज्वेलरी, एक ऐसी कला जो सदियों से देवताओं की भक्ति में समर्पित रही है। ये आभूषण 22 कैरेट सोने और कीमती पत्थरों से तैयार किए जाते हैं और तमिलनाडु के मंदिरों के विशाल गोपुरम (प्रवेश द्वार) और सजावटी मंडपों (अनुष्ठान के पवित्र क्षेत्र) से प्रेरित हैं।
देवताओं के लिए सुंदर गहने बनाने की परंपरा 900 साल पहले चोल राजाओं के समय शुरू हुई। कला और मंदिर बनाने में माहिर, इन राजाओं के समय के गहनों में कई देवी-देवताओं को दिखाया गया है। यह परंपरा बाद में विजयनगर साम्राज्य के समय भी जारी रही और नक्काशी आभूषण का विकास हुआ।
आज, विश्वकर्मा लोग इस कला को जीवित रखते हैं। वे इसे काम नहीं, बल्कि पूजा का हिस्सा मानते हैं। नक्काशी के गहने सिर्फ आभूषण नहीं, बल्कि समृद्धि और आशीर्वाद के प्रतीक हैं। आज की महिलाएं धन और समृद्धि के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए नक्काशी आभूषण खरीदती हैं। शादियों में ये गहने पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा को भी जीवंत रखते हैं।
नक्काशी के गहनों में डिजाइन: प्रकृति और देवताओं से प्रेरित
नक्काशी आभूषण, टेंपल ज्वेलरी के रूप में, मंदिर की दीवारों की समृद्ध कलाकृति से प्रेरणा लेता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अंशों को प्रदर्शित करते हुए, इसमें अक्सर लक्ष्मी, मुरुगन, कृष्ण और विष्णु जैसे देवताओं के प्रतीक होते हैं। वर्षों से, जैसे-जैसे नक्काशी आभूषण विकसित हुआ, मुगल युग के कारीगरों ने प्रकृति से प्रेरित डिज़ाइनों को भी शामिल करना शुरू कर दिया।
नक्काशी के गहनों में सोने के इस्तेमाल के पीछे की कहानियां बहुत पुरानी हैं। ये सिर्फ़ सजावट के लिए ही नहीं हैं, बल्कि तमिलनाडु के पुराने इतिहास की याद दिलाते हैं। कोयंबटूर की टेंपल ज्वेलरी में कुछ आम डिजाइन हैं, जैसे -
- देवी लक्ष्मी के चित्र: लक्ष्मी जी को धन-संपत्ति की देवी माना जाता है, इसलिए नक्काशी के गहनों में उनके चित्र बहुत आम हैं।
- शिव-पार्वती के प्रतीक: शिव-पार्वती के प्रतीक शक्ति और एकता को दर्शाते हैं। ये पूरे ब्रह्मांड के संतुलन का प्रतीक हैं।
- फूलों के डिजाइन: मुगलों के प्रभाव से नक्काशी के गहनों में फूलों के डिजाइन भी आ गए। ये गहनों को प्राकृतिक सुंदरता देते हैं।
- कृष्ण-विष्णु के प्रतीक: भगवान कृष्ण और विष्णु के अलग-अलग रूपों को भी नक्काशी के गहनों में दिखाया जाता है। ये सुंदरता और शांति का प्रतीक हैं।
- जानवरों के प्रतीक: मोर और शेर जैसे जानवरों के चित्र भी नक्काशी के गहनों में मिलते हैं। ये सुंदरता और शक्ति का प्रतीक हैं।
नक्काशी ज्वेलरी बनाने की प्रक्रिया
विश्वकर्मा परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही नक्काशी के गहने बनाने की विधि बहुत ही पवित्र मानी जाती है। कारीगरों को ये गहने बनाना पूजा जैसा लगता है। हर गहना बहुत ध्यान से, एक खास तरीके से बनाया जाता है, जिसकी प्रक्रिया इस प्रकार है-
- डिजाइन सोचना और बनाना - नक्काशी के गहनों के लिए डिजाइन की प्रेरणा प्राचीन मंदिरों की दीवारों से मिलती है। कारीगर देवी-देवताओं की कहानियों से प्रेरित होकर डिजाइन बनाते हैं, ताकि टेंपल ज्वेलरी का सेट डिजाइन किया जा सके।
- एम्बॉसिंग - डिजाइन को कागज़ पर बनाकर गोल्ड शीट पर उतारा जाता है। इसे एम्बॉसिंग कहते हैं। इससे गहने के डिजाइन की रूपरेखा तैयार हो जाती है, जिससे आगे का काम आसान हो जाता है।
- बारीक डिजाइनिंग - यह प्रक्रिया का सबसे कठिन काम है और कारीगर इसे पूरी श्रद्धा से करते हैं । इस स्तर पर, कारीगर हथौड़े के हल्के-हल्के वार से उभरे हुए डिज़ाइन को बहुत बारीकी से तराशते हैं।
- सोल्डरिंग -कई घंटों की मेहनत के बाद, एक-एक पीस तैयार किया जाता है। सोल्डरिंग प्रक्रिया के माध्यम से ये पीस जोड़कर, अंतिम आभूषण का निर्माण किया जाता है।
- पॉलिश करना- अंत में, कारीगर नए बने नक्काशी आभूषण को पॉलिश करते हैं ताकि इसके सोने और कीमती पत्थरों की चमक बढ़ सके।
नक्काशी गहनों की विरासत को अपनाना
धर्म और कला के सुंदर संगम से जन्मी, नक्काशी ज्वेलरी पारंपरिक टेंपल ज्वेलरी की अद्वितीय सुंदरता की साक्षी है। नक्काशी ज्वेलरी में सोने के इस्तेमाल का इतिहास न केवल सिर्फ़ कला मात्र ही नहीं बल्कि तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
रेड कार्पेट की शोभा बढ़ाने वाले आकर्षक गहनों से लेकर बारीक कारीगरी वाले आभूषणों तक, जो फ्यूज़न लुक देते हैं, नक्काशी ज्वेलरी हर महिला की पसंद बन गई है। चाहे वह सदियों पुरानी विरासत के रूप में सहेजे गए प्राचीन सेट हों या आधुनिक दुल्हनों की पसंद, इन आभूषणों का आध्यात्मिक महत्व सदियों से बरकरार है।