Published: 25 अक्टूबर 2017
सोना और हमारा पर्यावरण
क्या आप जानते हैं कि पर्यावरण की समस्याओं को हल करने के लिए सोने का इस्तेमाल किया जा सकता है?
5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के साथ, आइए, जानते हैं कि यह पीली धातु हमारे कार्बन पदचिन्हों को कम करने में कैसे मदद कर सकती है।
- अक्षय ऊर्जा
समस्या :
जीवाश्म ईंधन, वैसे तो ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत है, लेकिन यह पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाता है, और असीमित मात्रा में उपलब्ध भी है। इसलिए, वैज्ञानिक ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश में हैं जो स्वच्छ और अक्षय हैं, जैसेकि पवन, सौर और ज्वारीय, अन्य।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी को आशा है कि वर्ष 2050 तक सौर ऊर्जा दुनिया में विद्युत का सबसे बड़ा स्रोत बन जाएगा। लेकिन अभी, दक्ष सौर कक्षों को बनाने में लगने वाला अत्यधिक खर्च भारी चिंता का विषय है।
समाधान :
दुनिया-भर के कई शोध समूह बताते हैं कि कम मात्रा में सोने (छोटे नैनोकणों के रूप में) का इस्तेमाल से अनेकों स्वच्छ प्रौद्योगिकियों की दक्षता को सुधारने में मदद मिल सकती है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नया सौर पैनल बनाया है, जिसमें सोने के नैनोकणों की एक परत लगी है। यह परत पैनल में प्रत्येक सौर कक्ष की दक्षता को 20% से 22% तक बढ़ाने में मदद करती है। अभी यह एक छोटी-सी वृद्धि की तरह लग सकता है, लेकिन एकल प्रतिशत बिंदु दक्षता की महत्वपूर्ण ’वास्तविक दुनिया’ में सुधार को दर्शाता है।
- उत्प्रेरकी परिवर्तक
समस्या :
अप्रैल 2017 में, भारत में 2,54,290 कारों का पंजीकरण हुआ था, और कैब की अनगिनत सवारी की गई थीं। एक तरफ, यह आर्थिक प्रगति और अधिक क्रय शक्ति का द्योतक है, तो दूसरी तरफ, अधिक कारों का मतलब अधिक वायु प्रदूषण भी है।
समाधान :
वायु प्रदूषण को कम करने के लिए, कारों में उत्प्रेरकी परिवर्तक लगाए जाते हैं, जो इंजन में ईंधन के जलने से पैदा हुए खतरनाक प्रदूषकों को निकालने में मदद करते हैं। 2011 में, विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) की मदद से एक नया उत्प्रेरकी परिवर्तक बनाया गया था। इन उपकरणों में अन्य कीमती धातुओं के साथ मिलाकर, एक उत्प्रेरक के रूप में सोने का इस्तेमाल किया जाता है (एक ऐसी सामग्री जो प्रक्रिया में खपत हुए बिना रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज करती है)। यह उत्प्रेरकी निर्माण कार निर्माताओं को एक वैकल्पिक समाधान देता है, और दुनिया के सबसे बड़े उत्प्रेरकी परिवर्तक निर्माताओं में से एक इस समय इस तकनीक पर आधारित नए और बेहतर उत्पादों को बनाने में लगे हुए हैं।
- स्वच्छ भूजल
समस्या :
भारत में, 19 राज्यों ने पानी के फ्लोराइड संदूषण की रिपोर्ट की है, और कम-से-कम दस राज्यों का भूजल आर्सेनिक से संदूषित है। यह समुदायों को प्रदूषित जल की आपूर्ति, और इससे जुड़ी हुई स्वास्थ्य और चिकित्सा समस्याओं को उजागर कराता है।
समाधान :
जल प्रदूषण के प्रबंधन के लिए सबसे कुशल और किफायती तरीकों में से एक है — प्रदूषित पदार्थों को निकालने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए रासायनिक उत्प्रेरक का इस्तेमाल करना। राइस यूनिवर्सिटी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और ड्यूपॉन्ट केमिकल के शोधकर्ताओं ने सोने और पैलेडियम से उत्प्रेरक बनाया है, जो प्रदूषित भूजल से खतरनाक क्लोरीनयुक्त यौगिकों को प्रभावशाली तरीके से निकाल देता है।
निष्कर्ष :
सोना न केवल भारत के अतीत, परंपराओं और संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित स्वच्छ और हरे भविष्य में भी मददगार है।