Published: 04 अक्टूबर 2017
बौद्ध धर्म में सोना
बौद्ध मूर्ति विज्ञान पर एक नज़र इस तथ्य को स्थापित करने के लिए पर्याप्त है कि सोना - दोनों रंग और धातु रूप में - बौद्ध धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
सोना - बौद्धों के लिये क्या महत्व रखता है?
सोना, बौद्ध धर्म में सूर्य या आग का प्रतीक है। इसलिए, अन्य तत्वों के साथ सोने के मिश्रण को अशुभ माना जाता है क्योंकि यह सोने की प्राकृतिक चमक को कम करता है। इसलिए, बौद्ध ललित कला में इस्तेमाल किया जाने वाला सोने हमेशा शुद्ध होता है
सोना और बौद्ध मूर्तियां
सोने का रंग हमेशा बौद्ध रहस्यवाद का इतना अभिन्न हिस्सा रहा है कि तिब्बती क्षेत्रों में बनायी जाने वाले अधिकांश मूर्तियों पर शुद्ध सोने का पानी चढ़ाया जाता है। कुछ मूर्तियां हैं जो पूरी तरह से सोने से बनी हैं जैसे कि थाईलैंड में वाट त्रैमित मंदिर के पांच टन सोने से बने हुये स्वर्ण बुद्ध।
सोना और अष्टमंगल
आठ शुभ वस्तुओं का संग्रह - अष्टमंगल - तिब्बती बौद्ध संस्कृति के सबसे पुराने और सबसे प्रसिद्ध ज्ञात प्रतीकों में से एक है। इसे काटा - एक शुभ और सौभाग्यशाली कपड़े पर प्रस्तुत किया जाता है, इन प्रतीकों को पारंपरिक समारोहों और विशेष अवसरों में उपयोग में लाया जाता है। इन आठ प्रतीकों में से तीन सोने से जुड़े हैं।
- सोने की मछली का जोड़ा: दो मछलियां, आम तौर पर कार्प, समानांतर दर्शाई जाती हैं और एक दूसरे के सामने या एक दूसरे को थोड़ी सी तिरछी काटती हुयी दिखाई जाती हैं। यह जोड़ी भारत की दो मुख्य पवित्र नदियों का प्रतिनिधित्व करती हैं - गंगा और यमुना। मछली का जोड़ा सभी बाधाओं को दूर करने और पूर्ण आज़ादी के साथ निर्भयता की स्थिति में रहने का संदेश देता है।
- सोने का कमल का फूल: कमल का फूल शरीर, वाणी और मन की आदिम शुद्धता को इंगित करता है, जो कमनाओं के कीचड़ से बचाता है। कमल की तस्वीर पीड़ा से ऊपर उठकर प्रबुद्धता, सौंदर्य और स्पष्टता प्राप्त करने के सादृश्य है।
- सोने का धर्म चक्र (या पहिया): धर्म चक्र का इस्तेमाल अक्सर बुद्ध को दिखाने के लिए किया जाता है और बौद्ध धर्म के लिए एक सार्वभौमिक प्रतीक है। पहिये की आठ ताड़ियां बुद्ध के मोक्ष प्राप्त करने के अष्टांग मार्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं, यानी कि अत्यधिक सांसारिकता और अत्यधिक वैराग्यता (किसी भी प्रकार का भोग विलास ना करना) के बीच का मध्यमार्ग।
सोना और संगीत
तिब्बत का गायन बाउल सात धातुओं के मिश्रण से बना है, जिनमें से प्रत्येक एक ग्रह का प्रतीक है। सोना सात धातुओं में से एक है और यह सूर्य का प्रतीक है। घंटी की आवाज़ मिश्रण की अलग अलग धातुओं के अनुपात, धातु के आकार और मोटाई के आधार पर भिन्न भिन्न होती है। इसका उपयोग अनुष्ठानों में किया जाता है और इसका कंपन ध्यान के दौरान एकाग्रचित्त होने में मदद करता है।
सोने का रंग- बौद्धों के लिये इसका क्या मतलब है?
बौद्ध रहस्यवाद में सोने का रंग महत्वपूर्ण है। हंसते हुए बुद्ध की मूर्तियों को - जो खुशी और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक होती हैं- आमतौर पर सोने से रंगा जाता है। लोकप्रिय जापानी बौद्ध कलाकृतियां बुद्ध को सुनहरी या पीली पत्तियों वाले लंबे, पतले साल की वृक्षवाटिकाओं के नीचे अपनी मृत्युशय्या पर दर्शाती हैं। बौद्ध थांगका - सूती या रेशम की कढ़ाई पर तिब्बती पेंटिंग जो आमतौर पर बौद्ध देवता या दृश्य का चित्रण करती हैं - काली पृष्ठभूमि पर मोटी स्वर्ण रेखाओं के साथ चित्रित की जाती है।
सूर्य के साथ अपने संबंध को देखते हुए, बौद्ध धर्म में सोना ज्ञान, मोक्ष, शुद्धता, आनंद और स्वतंत्रता का प्रतीक होता है। यह एक और तरीका है जिसके माध्यम से दुनिया की पसंदीदा कीमती धातु हमारे जीवन पर प्रभाव डालती है।