Published: 18 अगस्त 2017

सोने के सिक्कों का इतिहास

एक समय था जब भारत को अक्सर सोने की चिड़िया कहा जाता था। अनेक वर्षों के बाद, विविध संभताएं स्वर्ण पर एक मुद्रा के रुप में निर्भर थी और यह समृद्धि का प्रतीक भी रहा। यहां पर आप पढ़ेंगे, भारत के सोने के सिक्कों के बारे में कुछ अद्भुत तथ्य, जो यह सिद्ध करते हैं, कि स्वर्ण को लेकर हमारा प्रेम सचमुच समय से परे है।
 

भारत के कुछ सबसे पुराने स्वर्ण के सिक्के, कुषाण सभ्यता में सामने आए थे। इनमें से कुछ, यहां पर हैं:
 
  1. कनिष्क I स्वर्ण सिक्का

    यह भारत के किसी राजा द्वारा जारी प्रथम स्वर्ण सिक्का माना जाता है; इसे 127 सीई में कुषाण राजा कनिष्क 1 द्वारा जारी किया गया था। यह उन कुछ विशेष सिक्कों में से हैं जिन्हे ग्रीक भाषा में और बाद में बैक्टरियन भाषा में जारी किया गया था जो कि एक इरानी भाषा थी और उस दौरान केन्द्रीय एशिया के क्षेत्र बैक्टरिया (वर्तमान उज़्बेकिस्तान, अफगानिस्तान और तज़ाकिस्तान) में बोला जाता था।

    Gold Dinar From Kanishka Reign

  2. हुविन्श्का स्वर्ण सिक्का

    कनिष्क के पुत्र हुविन्श्का द्वारा अनेक स्वर्ण के सिक्के और मुद्राएं जारी की गई, इनमें से कुछ उदाहरण यहा दिये गए हैं। ये भी बैक्टरियन भाषा में थे, इन सिक्कों के जारी करने का समय 155 से 190 सीई के मध्य था। इन सिक्कों में इरानी सौर देवता मित्र को दर्शाया गया है।

    Gold Coin From Huvishka Era

  3. वसुदैव 1 स्वर्ण सिक्का

    वसुदैव I को हुविन्श्क का बेटा माना जाता है जो कि उनकी हिन्दू पत्नी का पुत्र था और यह उनके नाम से ही सिद्ध हो जाता है। यह स्वर्ण के सिक्के का एक उदाहरण है जिसे 195 सीई में जारी किया गया जिसमें भगवान शिव और नन्दी दिखाए गए हैं।

    Gold Coin With Lord Shiva & Nandi Design

  4. कनिष्क 2 स्वर्ण सिक्का

    कनिष्क 2 द्वारा जारी किये गए सोने के सिक्के यहां दिये गए हैं, इस राजा द्वारा कम से कम 20 वर्षों तक राज्य किया गया। इन सिक्कों में भी भगवान शिव व नंदी बैल दिखाए गए हैं। यहां पर वर्ष 227 से 247 सीई के मध्य जारी स्वर्ण के सिक्कों को दिखाया गया है। यह उनके पूर्वजों द्वारा जारी सिक्कों के समान ही है, इनमें थोड़ा सा ही लेखन व कला में बदलाव दिखाई देता है।

    Shiva & Nandi Inspired Gold Coins

  5. वसिश्क स्वर्ण सिक्का

    वसिश्क स्वर्ण सिक्के को वर्ष 247 से 265 सीई के मध्य जारी किया गया और इसमें इरानी देवी आर्डोचाशो का चित्र बांई ओर दिया गया है।

    Gold Dinar Issued by Vashishka

  6. वसुदैव II

    यह वर्ष 275 से 300 सीई के मध्य जारी किया गया था और इस सिक्के में भी अपने पूर्वजों द्वारा जारी सिक्के के साथ बेहतर साम्य दिखाई देता है।

    Ancient Gold Coin Issues By Vasudeva II

  7. शक स्वर्ण सिक्का

    वसुदैव II के पश्चात, कुषाण साम्राज्य की स्थिति सामान्य नही रह गई थी। इसलिये शक स्वर्ण सिक्के जारी किये गए और एक लम्बे समय तक राजा शक के नाम के ये सिक्के चलन में रहे। शक सिक्के अन्य सिक्कों की तुलना में आकर्षक थे और इन्हे चौथी शताब्दी के मध्य में जारी किया गया था। ये सिक्के, अन्य सिक्कों के समान ही राजा और देवी आर्डोचाशो के चित्रों से सजे थे।

    Designer Gold Coins From Shaka Reign

    गुप्त साम्राज्य के दौरान, भारतीय सभ्यता ने अपना स्वर्ण काल देखा, सभ्यता, संस्कृति, कला और स्वर्ण के सिक्के। कुछ बेहतरीन स्वर्ण के सिक्कों को गुप्त साम्राज्य में ही जारी किया गया और इन्हे जारी अक्रने का काल 335 से 375 सीई के मध्य रहा। यहां पर उस समय के कुछ सिक्कों को दिखाया जा रहा। :

  8. राजमुद्रा

    इसे आदर्श प्रकार कहा जाता है, यह प्रथम गुप्त साम्राज्य के स्वर्ण मुद्रा के रुप में जाने जाते हैं। इसमें राजा को राजदन्ड हाथ में लिये हुए दर्शाया गया है।

    Spectre- Gold Coin From Gupta Reign

  9. राजा और रानी

    इन सिक्कों को राजा चन्द्रगुप्त प्रथम और लिच्छवी राजकुमारी कुमारदेवी के विवाह के अवसर पर ढ़ाला गया था। यह गुप्त साम्राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी और यह माना जाता है कि इससे राज्य में सौभाग्य की वृद्धि हुई और वे अपने साम्राज्य का विस्तार करने में सक्षम हो सके।

    King & Queen Design Inspired Gold Dinar

  10. धनुर्धर

    गुप्त साम्राज्य का सबसे प्रमुख सिक्का, जिसमें राजा को अपने बांए हाथ में धनुष लिये हुए दिखाया गया है और उनके दांए हाथ में तीर है।

    Gold Coins With Archer Designs

  11. युद्धक हथियार

    इस सिक्के में राजा के बांए हाथ में युद्धक हथियार मौजूद है। इस सिक्के के दूसरी ओर हिन्दू देवी लक्ष्मी का चित्र है और इसमें राजदन्ड, धनुर्धर और राजा तथा रानी दिखाए गए हैं।

    Gold Coin With Battle Axe

  12. अश्वमेध

    जैसा कि इसके नाम से ही यह सिद्ध होता है, इस सिक्के में एक घोड़ा दिखाया गया है। वैधिक काल में, अश्वमेधा अर्थात एक घोड़ा हुआ करता था जिसे राजाओं द्वारा अपने राज्य के विस्तार के लिये उपयोग में लाया जाता था। इस सिक्के के दूसरी ओर रानी को दर्शाया गया है।

    Gold Dinar With Horse Design

  13. संगीताचार्य

    यह सिक्का सबसे अलग है क्योंकि इसमें राजा को सांगीतिक वाद्य बजाते हुए दिखाया गया है। राजा समुद्रगुप्त को बेहतरीन संगीत साधक माना जाता था।

    Lyrics Embossed Famous Gold Dinar

  14. शेर का शिकारी

    शेर का शिकार दर्शाने वाले सिक्के किसी भी राजा के बल और पौरुष को दर्शाते हैं। इस सिक्के में राजा द्वारा शेर की ओर अपना निशाना लगाते हुए दिखाया गया है और जानवर के शिकार के बाद की स्थिति दर्शाई गई है।

    Tiger Slaying Design On Ancient Coin

  15. कच

    गुप्तकालीन सिक्कों में से यह सबसे अंतिम शृंखला है, इसमें राजा को वेदी के पास चक्र हाथ में लिये हुए दिखाया गया है।

    Chakra Design On Gold Coin

    गुप्तकाल के पश्चात, सिक्कों में मुख्य रुप से हर्ष और पूर्व मध्यकालीन राजपूत शैली की छाप दिखाई देती है। सोने के सिक्कों में समय के साथ होने वाला यह बदलाव देखना रोचक है।

  16. बैठी हुई लक्ष्मी के सिक्के

    कलचुरी शासक गांगेयदेवा द्वारा जारी इन सोने के सिक्कों को काफी प्रसिद्धि मिली थी और उन्हे अन्य राजाओं द्वारा भी अपने लिये इस्तेमाल किया गया।

    Lakshmi coins

  17. बैल और घुड़सवार के सिक्के

    बैल और घुड़सवार मुख्य रुप से राजपूत शासन के दौरान जारी किये जाने वाले सिक्कों में सबसे सामान्य प्रकार दिखाई देते हैं।

    Bull Coins

राजा शिवछत्रपति के साम्राज्य के दौराज जारी किये गए सोने के सिक्के भी अपना अलग महत्व रखते हैं।
इन्हे वर्ष 1674 से 1680 के मध्य जारी किया गया था जिनपर शिवाजी को राजा शिव के रुप में एक ओर और छत्रपति या क्षत्रियों के देवता के रुप में दूसरी ओर चित्रित किया गया था।

Shivaji Coins

सिक्कों ने भारत के स्वर्ण के साथ के संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज, भारत में स्वर्ण के सिक्के सुरक्षा, शुद्धता, मान सम्मान और मूल्य, सभी का एक संस्करण माने जाते हैं और स्वर्ण एक बार फिर से हमारे ह्र्दय और हमारे बटुवे में अपना स्थान सुनिश्चित कर चुका है।

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Sources:

Source1, Source2