Published: 19 जून 2018
सोने की सही कीमत कैसे जानें
कभी सोचा है कि सोने की कीमत ना सिर्फ नगरों और शहरों में ही भिन्न होती है, बल्कि एक ही शहर में कई दुकानों में भी भिन्न हो सकती हैं?
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भारत में सोने की कीमत हर पल बदलती बाज़ार की गतिशीलता के अनुसार बदलती रहती है।
भारत में, सोने की कीमत किसी औपचारिक विनिमय केंद्र के जरिये निर्धारित नहीं होती हैं। ऐसा कोई एकल प्राधिकरण नहीं है, जो समस्त राष्ट्र के लिए सोने की एक मानक कीमत निर्धारित करता हो। लेकिन इंडियन बुलियन ज्वेलर्स असोसियेशन (आईबीजेए) द्वारा प्रतिदिन घोषित की गयी कीमत ही राष्ट्र-भर में स्वर्ण-व्यवसायियों द्वारा मान्य होती है1। यह दस बड़े गोल्ड डीलर से प्राप्त कीमतों का औसत होता है। इनमें से कुछ डीलर मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ ईंडिया (एमसीएक्स)2 पर प्राप्त मासिक स्वर्ण भविष्य अनुबंध का प्रयोग करते हैं, कुछ अन्य आयातक बैंक से सोने की ख़रीद के लिए भुगतान किये गये लागत पर एक मार्क-अप कीमत जोड़ देते हैं। अलग-अलग शहरों व नगरों में कीमत निर्धारित करने में बड़ी भूमिका होती है अंतर-राज्यिक यातायात लागत और स्थानीय ज्वेलरी असोसियेशन द्वारा घोषित कीमत के आपसी खेल की।
भारत में सोने का प्राथमिक स्रोत है बैंक के जरिये आयात, जिसमें वे डीलर को आपूर्ति कराते समय लैंडिंग की लागत पर अपना शुल्क जोड़ लेते हैं। कुल लागत में होती है 10% कस्टम्स ड्यूटी और 3% जीएसटी जब बैंक और रिफाइनर द्वारा सोना बुलियन डीलर और आभूषण निर्माता / विक्रेता को बेचा जाता है।
सामान्यत: गहने की कुल कीमत की गणना करते समय, सर्राफ सोने की इसी घोषित कीमत का संदर्भ रखते हैं। इस कीमत का गहने के लिए युक्त सोने के वजन से गुणा किया जाता है और फिर इसमें मजदूरी शुल्क जोड़ दिया जाता है। कुल राशि पर 3% जीएसटी लागू किया जाता है4। कुछ सर्राफ शुद्धता और ब्रैंड के नाम पर एक अधिशुल्क यानि प्रीमियम भी जोड़ देते हैं।
स्वर्णाभूषण ख़रीदने से पहले, ध्यान रखने योग्य कुछ बातें:
- सर्राफ की कीमत क्रय और विक्रय के लिए अलग-अलग होती है और अधिकतर समाचार-पत्रों व वेबसाइट में प्रकाशित कीमत से, ज़्यादा नहीं भी तो कुछ, भिन्न होती है।
- सोने के वजन की गणना में किसी बहुमूल्य जड़ाऊ पत्थर का वजन नहीं जोड़ा जाएगा।
- सोने की कीमत गहने में युक्त सोने की शुद्धता के अनुसार ही मानी जाएगी, जैसे 22 कैरेट या 18 कैरेट बीआईएस मानक हॉलमार्किंग के अनुसार।
- गहने की मज़बूती और टिकाऊपन को बढ़ाने के लिए मिश्रधातु जोड़ने की कीमत शुद्ध सोने की कीमत से 3% से ज़्यादा नहीं हो सकती।
- मजदूरी शुल्क (या बर्बादी) का सर्राफों में कोई मानक नहीं है। यह शुल्क सोने की कीमत का कोई प्रतिशत भाग भी हो सकता है या फिर सोने के प्रति ग्राम पर एक समान दर। काटने, फिनिशिंग करने और बारीकियाँ देने की शैली भी काफी मायने रखती है। आम तौर पर, मास मार्केट मशीनों से बने गहनों पर 3% से 25% तक की मजदूरी लगती है। वैसे, हाथ से बने गहने मशीन से बने गहनों से ज़्यादा महँगे होते हैं।
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सारी क्रियाविधि को देखते हुए, निम्न कारक हैं जो सोने के बाज़ार दर को प्रभावित करते हैं:
- सोने की आपूर्ति: सोना एक दुर्लभ वस्तु है, और हर राष्ट्र में इस धातु की भरमार भी नहीं है। सोने की बदलती आपूर्ति के साथ-साथ उसके दर भी बदलते हैं। सोने के उत्पादक राष्ट्रों के साथ सौहार्दपूर्ण भूगर्भीय सम्बंध भी इस धातु की आपूर्ति व कीमत निर्धारित करने में एक मुख्य भूमिका अदा करते हैं।
- विनिमय दर: रुपये की कीमत में उछाल से आयात सस्ते होते हैं, जिससे सोन एकी कुल कीमत घट जाती है।
- आयात पर प्रतिबंध5: सरकार की किसी भी नीति, जैसे अधिक कस्टम्स ड्यूटी, जीएसटी या आयात कम करने के उपाय, से सोने की कीमत बढ़ती है।
- सामयिक कारक: शादियों, त्यौहारों, अच्छी फसल और बरसात के मौसम में सोने की ख़रीद और उसकी कीमत चोटी पर पहुँच जाती है।
सोने की कीमत तय होने की प्रक्रिया जानने से आप अपने सर्राफ द्वारा दिये गये अनुमान को बेहतर ढंग से समझ पाएँगे। उनके द्वारा बताये गये दर पर, सोने के वजन और शुद्धता को व समाचार-पत्र में प्रकाशित दर को ध्यान में रखते हुए, आप उनसे एक जानकारीपूर्ण वार्तालाप कर पाएँगे।
इसके अलावा, अपने ख़रीद की लागत का एक सम्पूर्ण विवरण लिखा हुआ पारदर्शी चालान माँगना ना भूलें।