Published: 04 अक्टूबर 2018
भारत में हौलमर्किंग प्रक्रिया का वैधानिक नियंत्रण कौन करता है?
सोने की बानगी वह प्रक्रिया होती है जिसके माध्यम से हमारे द्वारा खरीदे गये सोने की – चाहे सिक्के हों, छड़ या फिर गहने – शुद्धता प्रमाणित की जाती है। यह एक सबसे महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है जो हमारे सोने की गुणवत्ता के बारे में हमें निश्चिंत करती है।
लेकिन ये बानगी होती कहाँ है और इसे नियंत्रित कौन करता है?
गहनों की बानगी देश भर में मौजूद परख और बानगी केंद्र, यानि ऐसेइंग ऐंड हॉलमार्किंग सेंटर में की जाती है। इनकी निगरानी बीआईएस करता है।
एएचसी क्या है?
एएचसी, यानि ऐसेइंग ऐंड हॉलमार्किंग सेंटर, भारत भर में मौजूद हैं और सोने की बानगी की प्रक्रिया का मुख्य आधार हैं। देश भर में करीब 662 एएचसी हैं जो लगभग 20,000 ज्वेलर्स के नेटवर्क को सम्भाले हुए हैं और ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) के तहत लाइसेंस प्राप्त हैं। कोई भी बीआईएस-प्रमाणित ज्वेलर अपने गहने चिह्नित कराने के लिए खुद को किसी भी 662 बीआईएस मान्यता-प्राप्त ऐसेइंग ऐंड हॉलमार्किंग सेंटर से पंजीकृत कराने का अधिकार रखते हैं। हालाँकि, उन पर बानगी तभी की जाती है तब वे सोने के गहने अपनी घोषित शुद्धता और उत्कृष्टता के अनुरूप होते हैं।
यदि कोई भी गहना बानगी के मानकों के अनुरूप नहीं होता है, या उसकी गुणवत्ता घोषित शुद्धता से कम पायी जाती है, तो एएचसी को ऐसे गहने पिघला देने का प्राधिकार है।
बानगी की प्रक्रिया
मुख्य तौर पर इसमें 3 चरण होते हैं – एकरूपता की जाँच, शुद्धता की जाँच और हर एक वस्तु को अलग-अलग चिह्नित करना। एकरूपता की जाँच में, दिये गये एक सैम्पल के तहत सभी वस्तुएँ जाँच की जाती हैं ताकि वे मूल अधिनियम मानकों का अनुपालन करें।
इस प्रक्रिया का सबसे मुश्किल चरण होता है शुद्धता की जाँच। इसमें पहला कदम होता है जाँच की जाने वाली वस्तुओं का चयन; उसके बाद हर वस्तु की सतह पर एक प्रारम्भिक परीक्षण किया जाता है, और फिर विस्तृत जाँच के लिए हर वस्तु से छोटे सैम्पल लिये जाते हैं। अंत में, सोने की उत्कृष्टता का आकलन करने के लिए एक गहन परख की जाती है। इस सख़्त जाँच के बाद, लेज़र, प्रेस या हाथ से बानगी के चिह्न लगाये जाते हैं।
बानगी को व्यवस्थित करने और बढ़ावा देने के लिए नवीनतम विकसन
पिछले 15-17 वर्षों में एएचसी की संख्या में खासी वृद्धि होने के कारण और खुदरा विक्रेताओं व बानगी करने वालों के लिए निगरानी की ढाँचे को व्यवस्थित करने के लिये लिये गये कठोर कदमों के कारण, कम कैरेट वाले गहनों का निर्माण 20-40% से घटकर 10-15% हो गया है। इतना ही नहीं, गहनों की बानगी को बढ़ावा देने के लिए, बीआईएस के लाइसेंस शुल्क को ग्रामीण क्षेत्रों के ज्वेलर्स के लिए घटा दिया गया है। एएचसी उपकरण की लागत को भी काफी मात्रा में घटा दिया गया है ताकि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों से ज़्यादा-से-ज़्यादा एएचसी स्थापित किये जा सकें।
सरकार के पर्याप्त समर्थन के साथ, ग्रामीण क्षेत्रों में और अधिक एएचसी स्थापित किये जा सकते हैं ताकि स्थानीय जनगण लाभ उठा सकें। इससे शहरी इलाकों में एएचसी की भरमार होने की समस्या से निजात पाया जा सकता है। भारत के अधिकतम शहरों में बानगी को अनिवार्य करने के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं इसलिए, जहाँ ज़रूरत हो, बीआईएस और सरकार एकजुट होकर एएचसी स्थापित करने की ओर काम करेंगे।